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मन के भीतर की स्थिति ।

रविवार का उपयोग किस तरह से करें ।

किसी भी कार्य में नयेपन के साथ अवसर को खोजें ।

कुंडली के बारह भावों में बनने वाली युतिसंगत स्थिति ।

सीखने की कोई उम्र नहीं होती।

ज्योतिष में ग्रहों का उच्चस्थ और नीचस्थ प्रभाव ।

ज्योतिष में बनने वाले "योग" की जिज्ञासा ।

छोटे लक्ष्यों के द्वारा भी सफलता प्राप्त की जा सकती है ।

आत्मीयता और संवेदनाओं का जुड़ाव ।

ज्ञान के साथ जीवन में सहजता और सरलता बनी रहे ।

जीवन में टेंशन को करे इग्नोर ।

रूचि (Interest) ।

कर्म को जीवन का आधार बनाकर चलें ।

अन्तर्मुखी और बहिर्मुखी व्यक्तित्व

संकल्प के साथ कार्य की शुरुआत करें ।

मुस्कुराना जीवन का सबसे बड़ा आधार है ।

सारांश और व्याख्या

समय कभी भी एकसमान नहीं रहता है ।

मनुष्य में आत्मविश्वास (Self Confidence ) होना जरुरी है ।

जिस कार्य में दक्षता और हुनर हो उसे अवश्य करें ।

एकाग्रचित्त होकर किया गया कार्य सफलता अवश्य दिलाता है ।

मकर संक्रांति पर तिल का महत्व ।

मकर संक्रांति पर की जाने वाली दान-पुण्य की महिमा ।

ज्योतिष में देवगुरु बृहस्पति की दृष्टि अमृत समान है ।

रटने की बजाय समझने की प्रवृति विकसित करें ।

अपने कार्य अनुभव पर भरोसा रखें ।

ज्योतिष में बारह भावों पर सूर्य देव का प्रभाव ।

सफलता के लिये जीवन में अनुशासन होना जरुरी है ।

व्यक्ति का कार्य ही दिलाता है उसे सम्मान ।

चन्द्र-मंगल "लक्ष्मी योग" ।

काल्पनिक और यथार्थ जीवन की स्थिति ।

समय प्रबंधन से जीवन को करें अनुशासित ।

जीवन में तुलना किसी से भी नहीं करें ।

वाणी से जीवन को बनायें ऊर्जावान ।

गलतियों में सुधार कर समाधान की तरफ जायें ।