अपने कार्य अनुभव पर भरोसा रखें ।

क्या हम स्वयं पर और अपने अनुभव पर भरोसा करते हैं। कोई भी कंपनी किसी एम्पलाई को हायर करती है तो उसके अनुभव कितने है उस क्षेत्र विशेष में है, ये देखती है। अगर कोई बड़े पद की ओर जा रहा है तो चैक किया जा रहा है, कि बीस-पच्चीस वर्ष का अनुभव है या इससे अधिक अनुभव को लाया है तो वहां उस जगह जा सकता है। कितनी बार क्राइसेस को मैनेज किया है। ये भी देखा जाता है। कई ऐसे प्रश्न भी पूछे जाते हैं जो बिलकुल अलग होते हैं, उस स्पेशिफिक फील्ड के साथ गहराई से जुड़े होते हैं जो कि नितांत अनुभव के साथ ही जीवन में उतरने वाले होते हैं। कंपनी, व्यापार ये सारी ही स्थितियां अनुभव पर भरोसा करती है, तो जीवन के एक वय के अंदर आकर हम अपने ही अनुभव पर, हम अपने ही आत्मविश्वास पर और जो भीतर संजोया है इतने वर्षों से उसके ऊपर भरोसा क्यों नहीं करते हैं। 

जब भी किसी नए कार्य की शुरुआत करनी होती है। आपने एक जॉब में बिजनस में कहां तक पहुंचा दिया है जो प्रत्येक जॉब किसी न किसी व्यापारिक स्तर के साथ भी जुड़ी होगी। अपनी मेहनत, अपने बलबूते कहां से कहां तक की यात्रा उस कंपनी ने तय करवा दी। किन्तु अब खुद के लिए एक शुरुआत का अवसर आया। वहीं पर हम अपने अनुभव के ऊपर बिलकुल भी भरोसा करने वाले नहीं रहे, ऐसा क्यों हुआ। बहुत बड़ा निर्णय कन्फर्ट जोन से बाहर निकल कर लेना था, न जाने कितनी बार प्रूव किया, अब घबराहट कहां से आई कि सफल नहीं हो पाएंगे। लगातार पूरे जीवन को अपडेट करते रहे। 

पचास-बावन वर्ष की उम्र में अब ये मन में क्यों आने लग गया है, नौकरी बचानी है, जबकि ऐसी स्थिति नहीं है। आज भी अपडेट, अपग्रेड कर सकते हैं, नई स्किल के साथ चल सकते हैं। कन्फर्ट जोन की आवश्यकता ही नहीं है। जब भी व्यक्ति अपने ही अनुभव के ऊपर भरोसा नहीं करता है ये कंटेम्परेरी सोच नहीं लाता है कि ऐसी स्थितियों से बार-बार निकला हूं, आज के स्तर पर जो परेशानी है, क्यों वो जीवन में बड़ी परेशानी हो जाती है अन्यथा आप देखते हैं तो न जाने कितनी स्थितियां आई जिससे बाहर निकले, फिर से चलने की शुरूआत की, किन्तु ये प्रथम कदम है वहीं हम घबरा जाते हैं, रुक जाते हैं, जिसकी आवश्यकता बिलकुल भी नहीं है। जीवन के पिछले आइने को देखते है तो तस्वीर और तासीर दोनों ही स्पष्ट होती है कि हम विजेता रहे हैं। 

प्रत्येक जीवन में संघर्ष की कहानियां शुमार हैे। किन्तु स्वयं एक उम्र के बाद क्यों भूलने लगता है कि अभी भी सहारे की आवश्यकता नहीं है। लोगों को अभी भी सहयोग दे सकते हैं। उस स्तर पर हम यदि सहारा खोज रहे हैं तो अपने पूर्ववत अनुभवों को शून्य करने का काम कर रहे हैं इससे बचना चाहिए। आप जहां पर भी हैं, जैसे भी हैं, जिस भी आधार पर चल रहे हैं, बहुत कुछ हासिल करके वहां पहुंचे हैं। नितांत अनुभव संघर्ष लगातार जीवन का घर्षण साथ में चला है जब आपने कोई मुकाम हासिल किया स्मृतियों में रखना चाहिए।

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