समय कभी भी एकसमान नहीं रहता है ।



एक व्यक्ति अपने अनुभवों को सुनाते हुए कहता है कि जब मेरे संघर्ष के दिन थे, समय जब विपरीत स्थितियों में चल रहा था। कोई भी मेरे साथ में नहीं था। मैं अकेला लगातार जद्दोजहद कर रहा था। जब शीर्ष पर हुआ करता था तो सारे लोग साथ में थे, ये हम सभी ने सुना है। वहीं एक व्यक्ति यह भी कहता है कि मेरा समय संघर्ष का तो था, किन्तु बहुत सारे लोग मानसिक संबल देकर मेरे साथ खड़े थे। इन दोनों ही स्थितियों को समझने की आवश्यकताएं हैं। 

एक व्यक्ति जब पद पर था, या व्यापार में पीक को देख रहा था उस समय रिश्तों को अहमियत नहीं दी। कुछ लोगों ने मदद के लिए हाथ भी बढ़ाएं, किन्तु वह व्यस्त रहा कि वह वहां तक पहुंच नहीं पाया, समय नहीं दे पाया। कोई व्यक्ति निराश था, उसको बुला रहा था कि मुलाकात करनी है, किन्तु शायद वह सफलता के घोड़े पर सवार होकर यह समझ नहीं पा रहा था, किसी अपने को मेरी आवश्यकता है। किन्तु दूसरे आधार पर जो सफलता बहुत अच्छे से देख रहा था। सफलता के साथ में अपनी जिम्मेदारी को गहरे से स्वीकार करते हुए जो भी रिश्ते थे, उन सबको और बेहतर तरीके से संभाल भी रहा था। जहां फाइनेंसियल सपोर्ट की आवश्यकता थी, वहां फाइनेंसियल सपोर्ट था, जहां मानसिक और आत्मिक बल देने की आवश्यकता थी, वहां पर भी वो व्यक्ति मौजूद था। 

किसी व्यक्ति को उसके नकारात्मक समय में सिर्फ एक पंक्ति कह देना कि क्यूं चिंता कर रहे हो, मैं तुम्हारे साथ खड़ा हूं वो भी ऊर्जा का आधार लेकर आता है। उस व्यक्ति के चिंतन के अंदर एक सकारात्मकता देने वाला होता है। समय एक सरीका रहता नहीं है। अभी संघर्ष है, कभी सफलता की ओर जाएगा, कभी वो बारम्बार साक्षात्कार देगा अपने को हारा महसूस करेगा। ये सारी प्रवृतियां एक साथ में चलती है, किन्तु इसमें भी हम यदि किसी को मोटिवेट करते हैं, किसी के लिए मदद की गुंजाइश बनाते हैं। वो मन के भीतर उस स्थिति को पूरे जीवन लेकर चलता है और जब भी किसी विपरीत परिस्थिति के अंदर मानवीय स्तर चल रहा हो, वही व्यक्ति खुद आकर कहता है कि मैं आज आपके सामने खड़ा हूं और साथ में भी खड़ा हूं क्योंकि एक समय मेरा विपरीत था और आप मेरे साथ खड़े थे। यही समय का आधार है। इसी वजह से जब हम सफलता के आधार पर चल रहे हैं तो लगातार यह प्रयास करें कि लोगों को भी जोड़ें और कृतज्ञता का भाव उस सर्वोच्च सत्ता के प्रति रखें जिसने हमको यह अवसर दिया है और जब भी स्थितियां इधर-उधर होने लगती है, वही व्यक्ति आपके जीवन में साथ खड़े होते हैं। ये एक सेग्रीगेशन है, अलग-अलग स्थिति है, जिसको समझने की आवश्यकता है। 

एक व्यक्ति सफल होता है और ज्यादा झुकता है, लगने लगता है कि इस सफलता के अंदर न जाने कितने लोगों का योगदान है। एक व्यक्ति सफल होता है और आकंठ घमंड में आने लगता है, कहता है कि जो किया मैंने किया है। वस्तुस्थिति समझने की आवश्यकता है कि हमारा जीवन न जाने कितने लोगों की वजह से बना है।

Comments