रुचि, व्यक्ति को न जाने कितनी यात्राएं करवाती है। मैं जिस शहर में पला बढ़ा और उसी शहर के आसपास पर्यटन का जो केन्द्र रहा इसके साथ में ही जो स्वाद की स्थितियां है वो भी इस शहर के साथ लोगों को हमेशा जोड़ती रही। तो वहीं कई और शहर है जगह है जहां लोग स्वाद के कारण यात्राएं करते हैं। कई बार पर्यटन यात्राओं का कारण बनता है।
किसी व्यक्ति से मुलाकात करनी है, ये भी यात्रा का एक कारण बनता है। ये सारे ही भीतर से जुड़े हुए बाहरी कारण है जिसके साथ में हम हमेशा यात्राएं करते चले जाते हैं। स्वाद अनुरूप और वहीं जो मन की संतुष्टि के अनुरूप लोगों को जानने के अनुरूप, किन्तु एक भाव एक साथ में गहराई से जुड़ा रहता है वो है जिज्ञासा। जो उस भाव को उत्पन्न करने वाली होती है। और जब जिज्ञासा शांत होती है तो मन के भीतर एक नया आवरण आने लगता है जिसको हम संतुष्टि भी कहते हैं। वहीं पर एक यात्रा भीतर की भी है। किसी हुनर को मांजना है तो वहीं कला संबंधी क्षेत्र विशेष में अपना नाम और ख्याति अर्जित करनी है। तो यहां आध्यात्म यह कहता है कि आप जितना भीतर उतरेंगे उतना ही नवीन स्पंदन को प्राप्त करने वाले होंगे। उतना ही नवीन आधार को अपने सम्मुख रखते चले जाएंगे। इस बात को सदैव ध्यान रखें कि यात्राएं बाहरी तौर पर तो चलेगी किन्तु भीतर की यात्रा भी कितनी संभावनाओं को उदघाटित करने वाली होती है।
दशम भाव जो बारह ही भावों में, ज्योतिषीय आधार पर महत्वपूर्ण है, वो आपकी वर्किंग एक्सपर्टीज के साथ जुड़ा हुआ है। जब भी किसी क्षेत्र के अंदर बहुत अधिक समय रुचि के साथ में दिया गया, जिज्ञासाओं को लगातार शांत किया गया। ये बात पुन: दोहरा रहा हूं जब भी व्यक्ति जिज्ञासाओं को इग्नोर कर देगा, तो वहां अपनी यात्रा को कुछ नया सीखने की ओर नहीं लेकर जा सकता। जिज्ञासाएं लगातार उस व्यक्ति के साथ बनी रही, वो कुछ न कुछ नए फोल्ड अपने साथ जोड़ता चला जाएगा। जो लोगों की नजर में स्थिति नहीं आई वो आपकी नजर के साथ आती है वहीं से आप एक भीड़ के अंदर नया चेहरा बनकर सामने आते हैं जो अपने विलक्षण आधार के ऊपर है। लोग दस वर्षों की यात्रा को एक दिन में आंकने का काम करते हैं और वाह वाही भी देते हैं। किन्तु दूसरे फोल्ड में स्थिति यह भी है कि भीतर की अनंत यात्राएं लगातार तय की है। एक ऐसा आवरण बनाकर रखा जो लोगों की नेगेटिव बात को आप तक पहुंचाने वाला रहा ही नहीं सिर्फ और सिर्फ भीतर की यात्रा चलती चली गई।
बाहरी यात्राएं चलती रहेगी, किन्तु इस यात्रा को भी अपनाकर चलना चाहिए। ये यात्रा एकांत के साथ में चलती है। ये यात्रा जिज्ञासाओं के साथ चलती है। ये यात्रा संतुष्टि के साथ चलती है, जो हासिल किया है उसके साथ आज संतुष्ट है तो अगले दिवस की यात्रा और अधिक बेनिफिट देने वाली होगी।
बात तो पते की है। पर कभी कभी मेरे जैसा पत्नीकी डिमांडसे तंग आकरभी यात्रा करता है।
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