समय प्रबंधन से जीवन को करें अनुशासित ।

 सुबह जल्दी आंख खुलती नहीं है, रात को जल्दी आंख लगती नहीं है। इन पंक्तियों के साथ में कई बार लोग चर्चा करते हैं। सुबह उठना चाहता हूं जल्दी, किन्तु उठ नहीं पाता। रात को समय पर सोना चाहता हूं, किन्तु नींद ही नहीं आती। न कोई किताब पढऩे का मन करता है, क्योंकि थकावट इतनी होती है कि बुद्धि नए विचारों को ग्रहण नहीं करती। तकनीक के साथ लगे रहते हैं और वहीं पर समय बीतता चला जाता है। अगर इस पंक्ति पर गौर किया जाए और हम इसी लाइन को सिस्टेमिटक एप्रोच में देखें तो अपने आप समस्याओं के समाधान सामने आ जाते हैं। सुबह आंख खुलती नहीं है तो हम प्रयास करें जल्दी उठने के लिए क्या किया जा सकता हैे किस तरह खुद को ट्रेन्ड किया जा सकता है। फाल्टी प्रोसेस के अंदर एक तरह से कन्फर्ट को हटाकर सिस्टेमेटिक स्ट्रक्चर ला सकते हैं। सूर्य उपासना के साथ देखते हैं और जीवन में सूर्य समान अनुशासन चाहते हैं तो उसकी शुरुआत भी ऐसी उपासना पद्धतियों के साथ होनी चाहिए। 

मान लीजिये, साढ़े सात बजे आपकी उठने की आदत है। तय कर लिया साढ़े सात उठेंगे, किन्तु पहले नहाये और सूर्य उपासना की ओर जीवन को ले जाएंंगे। धीरे धीरे आप देखेंगे बायलोजिकल क्लाक की पोजीशन पीछे सिरकने लगती है और अनुशासन में आने लगते हैं। जब दिन की शुरुआत साढ़े पांच और छह बजे हो जाती है, और रात को दस साढ़े दस बजे अपने आप थकावट महसूस होने लगती है, लगने लगता है अब शारीरिक स्तर पर कार्य किए हैं, मानसिक स्तर पर खुद को पूरे दिन किसी न किसी स्तर पर घेर कर चले हैं इस सिस्टम को अब रेस्ट देने की आवश्यकता है। अगले दिन से ही आप देखते हैं कि आप सुबह साढ़े पांच बजे या छह बजे आंख खुल जाती है और आप अपने रुटिन की ओर आना शुरू कर देते हैं। किन्तु शुरुआत सुबह से ही करनी होगी। रात को जब शारीरिक स्तर पर इतनी थकावट नहीं है तो नींद से देरी से होती चली जाएगी, किन्तु जब आप सुबह अनुशासन के साथ, न किसी अलार्म क्लाक के साथ उठने का प्रयास करते हैं, खुद को टास्क देकर रखते हैं जहां से अपने प्रयासों में सफलता लेकर आ पाएं और सूर्य उपासना की गतिविधि के साथ जुड़ते चले जाएं तो ऐसी सारी ही नकारात्मकता को जीवन से दूर हटाते हैं। सुबह समय पर आंख खुलेगी और रात को नींद भी प्रोपरबेस पर आती चली जाएगी। 

शारीरिक स्तर पर स्वास्थ्य लाभ भी लेने वाले होंगे। जब रुटिन सुधरता है व्यक्ति कई बार एकांत में समय बिताने वाला होता है तो वहीं से उसके लिए नव स्पंदन जाग्रत होते हैं। क्रियेटिव फोल्ड के साथ में हम चलना शुरू करते हैं और जब भी तकनीक से दूर हटकर लोगों से दूर हटकर हम खुद के साथ में जुड़ते हैं तो सारे ही प्रश्नों के उत्तर खोजते चले जाते हैं।

Comments

  1. बातो बातो में, आप मुझे बहोतही उपयोगी मंत्र देकर गये हैं।

    ReplyDelete
  2. प्रणाम
    प्रेरणा दायक, अनुकरणीय

    ReplyDelete
  3. Very nice and inspiring message

    ReplyDelete
  4. pranam , thank you so much for inspiration

    ReplyDelete

Post a Comment