एकाग्रचित्त होकर किया गया कार्य सफलता अवश्य दिलाता है ।


एक विलक्षण प्रतिभा का धनी व्यक्ति क्षेत्र विशेष के अंदर वो मुकाम हासिल नहीं कर पाया जिसकी अपेक्षा लोगों को और उसको स्वयं को स्वयं से थी। किन्तु वहीं एक साधारण सी प्रतिभा वाला व्यक्ति लगातार चलता रहा और अंततोगत्वा वो कारनामा करके दिखा दिया, जिसकी उम्मीद किसी व्यक्ति विशेष को नहीं थी। इसके पीछे वजह क्या है। आप देखें, जब भी विलक्षण प्रतिभा किसी के साथ होती है तो उसको चमक-दमक मिलती है। लोगों की प्रशंसा मिलती है और कई बार उसके साथ आत्ममुग्धता मिलती है जो उसको उलझाने वाली बन जाती है। एक औसत स्तर के साथ चल रहा व्यक्ति लाइम लाइट में नहीं रहता, वो सिर्फ कार्य का प्रयास करता रहता है, सफलता और शीर्ष के सफलता की स्थितियां दिमाग में होती ही नहीं है। उसे लगातार काम करते चले जाना है। 

एक हुनर भीतर है तो पहले उसको लगातार मांझना होता है एकांत में। उसके बाद की जो यात्रा आती है, जैसे ही हम हुनर को दुनिया के सामने रखने वाले होते हैं, कई लोग कहेंगे अभी तक कमी है, सुधार की प्रक्रिया के साथ जाना है, कोई कहेगा मेहनत की आवश्यकता नहीं है, जो है वो बेहद शानदार है। हम दूसरे लोगों के कम्प्ररीजन से खुद को ऊपर उठा लेते हैं, बढिय़ा कर रहे हैं, चिंता की आवश्यकता नहीं है। इसी को दूसरी स्थिति से जोड़कर देखना चाहिए। कॉलेज या स्कूल में एक सेमेस्टर से दूसरे सेमेस्टर में जाता है तो सबसे पहले मन में संकल्प लेता है, स्कूल कालेज बैग प्रोपर रहेगा। होम वर्क या टास्क मिल रही है, उसे पूरा करके चलेंगे। कहीं पर भी नकारात्मकता नहीं रखेंगे। अनुशासन में कमी आएगी ही नहीं। ऐसी ही स्थितियां थोड़े दिनों में चलती थी, तो 15-20 दिनों में ये सब गायब हो जाता है और व्यक्ति फिर से उसी के साथ चलने का कार्य कर देता। 

एक जॉब को छोड़ा, दूसरी जॉब में जाने से पहले फिर से मन को पूरे तरीके से एकाग्रचित्त किया, ऊर्जावान होकर ये कहा इस बार ऑफिस पोलिटिक्स में नहीं फंसेंगे। जो कामकाज सामने है वो उसी दिन पूरा करेंगे। इतना टास्क स्पेशिफिक होकर चलेंगे, किन्तु ऐसा होता नहीं है कुछ ही दिन में नकारात्मक माहौल एट्रक्ट करने लगता है। संकल्प के साथ चलना था वहां कमी आने लगती है। इसी वजह से भले ही कोई हुनर हो या किसी और एप्रोच के साथ जा रहे हैं, लोगों से डिस्ट्रेक्ट हुए बिना कितने लगातार चल रहे हैं, वहीं से सफलता के सिरे हमारे सामने आने की शुरुआत करते चले जाते हैं। 

जब सफलता मिलती है वहां हम कितना आत्ममुग्धता से दूर होकर चल रहे हैं, कितना दूसरे लोगों की अवस्थाओं से खुद को रिलेट नहीं कर रहे हैं और कितना सम्यक स्तर के ऊपर अपने गोल के साथ में हम एक स्पेशिफिक लेवल को लेकर चल रहे हैं। वहीं से हम यह निर्धारित कर पाते हैं आने वाले वर्षों में हमारी जर्नी कहां से कहां तक पहुंचने वाली होगी। कुछ लोग कहते हैं 20 वर्षों में कुछ हासिल नहीं किया, कुछ कहते हैं 20 वर्षों पहले चले थे, वहां से 99 प्रतिशत हासिल कर लिया है। लगातार चलते रहना, सहजता के साथ सामने है उसे स्वीकारें। लोगों के कहने अनुसार भटकें नहीं, अपने लक्ष्य पर अडिग रहें। अपने आसपास हुनर देखते हैं, तो ये ध्यान रखना है कि हमें लगातार अपने लक्ष्य की ओर चलते चले जाना है।

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