हिन्दी विषय में सारांश और व्याख्या का महत्व अधिक होता है। बचपन की स्मृतियों को मानस पटल पर लाया जाए तो हम याद कर पाएंगे कुछ युक्तियां, चौपाइयां सामने हुआ करती थी, कुछ गद्य के अंश होते थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि पहले इसकी व्याख्या कीजिये उसके बाद सारांश लिखने का प्रयास कीजिये। यही स्थिति जीवन में भी होती है।
जब भी हमसे कोई छोटा भाई या बहिन मिलता है या ऐसा व्यक्ति है जो अपनी जीवन की जद्दोजहद कर रहा है। हम अपने अनुभव उस व्यक्ति के सामने सारांश के रूप में रखते हैं और वो उसकी व्याख्या करता हुआ कहीं न कहीं प्रेरित होता है और बढ़ता चला जाता है। ठीक उसी तरह कोई ओहदे का व्यक्ति या अनुभव लिया हुआ व्यक्ति या बुजुर्गजन मिलते हैं तो वो कहते हैं कि आप इस कार्य को इस तरह से कीजिये। मैं इस तरह आगे बढ़ा था, वो सारांश है जो प्रेरणा के रूप में चलता है। यही प्रेरणा जीवन में एक नया रिफलेक्शन लेकर आती है। इसी वजह से कोई भी ऐसे अनुभव का व्यक्ति मिले जिसने क्षेत्र विशेष में बड़ा नाम हासिल किया।
हम थोड़ी से प्लीज और मृदुभाषिता में आ जाए, उससे पूछे सफलता की स्टोरी का सारांश क्या है, किस तरह से यात्रा को तय करने वाले हुए। वहां से जो एशेंस मिलता है वो पूरे ही जीवन प्रेरणादायी शब्दों का कार्य करता है। जो भी ऐसा व्यक्ति मिले, उसके साथ अनुभव बांटना, हमारे पास कुछ अनुभव है तो मन खोलकर लोगों के सामने रखना कहीं-न-कहीं जीवन का नया दर्शन है।
हम धीरे धीरे इतने संकुचन के अंदर आ जाते हैं कि मन के भीतर के अनुभवों को साझा ही नहीं कर पाते और न जाने कहां से ऊहापोह जन्म लेने लगती है जो ये सारा ही जीवन का आनंद है उसको धीरे-धीरे कम करने लग जाती है। हरेक जगह व्यक्ति फायदा और नुकसान देखने लगता है। प्रत्येक कार्य को करने से पहले यह सोचता है कि यहां मेरा फायदा क्या है, नुकसान क्या है, किन्तु अनुभवों को बांटने में फायदा ही फायदा है नुकसान कहीं नहीं है। ये जीवन की मेहनत का सारांश है जो कितने लोगों को नई रोशनी प्रदान कर सकता है।
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