छोटे लक्ष्यों के द्वारा भी सफलता प्राप्त की जा सकती है ।



हम खिड़की और दरवाजे खोलकर कई बार धूप का इंतजार करते रहते हैं। किन्तु रोशनदान के छोटे छोटे छेदों से न जाने कब वो किरण़े प्रवेश कर जाती है जो घर को रोशन करने वाली होती है, उस कमरे को रोशन करने वाली होती है। किन्तु हमारा ध्यान उसी ओर जाता ही नहीं है। ठीक उसी तरह जिंदगी भी है। हम बड़ी सफलताओं के इंतजार में, लक्ष्य की प्राप्ति के इंतजार में जीवनभर चलते रहते हैं किन्तु छोटे छोटे लक्ष्य और उसके साथ जुड़ी खुशियां कब आकर निकल जाती है और हम उसको संभालने वाले नहीं होते ये मालूम ही नहीं चलता है। व्यक्ति अनायास ही किसी रिश्ते में जुड़ता है, आगे की कल्पनाएं खोजने लगता है क्या इस रिश्ते से शादी की ओर जा सकते हैं, कितना आगे बढ़ेगा, जो वक्त सामने मौजूद है। 

जो आज खुशियों के साथ चलने को कह रहा है किन्तु व्यक्ति आगे की सोचने लगता है और जो पल सामने है उसको गंवा बैठता है। एक व्यक्ति कॉलेज में प्रवेश लेता है और लगातार यही सोचता रहता है उस वर्तमान समय में कि यहां से पास आउट होऊंगा, जॉब लगूंगा, जिंदगी में बहुत कुछ हासिल करना है। उसके साथ चलूंगा किन्तु उसी उम्र के साथ कुछ रिग्रेन्ट भी रहता है जो रिश्ते मिले थे, जो निस्वार्थ भाव के साथ था। वहां मैं लगातार आगे की सोचता रहा। आज आगे प्राप्त बहुत कुछ कर लिया है किन्तु फिर से वही जिंदगी जीना चाहता हूं। किन्तु जो रिश्ते थे वो निस्वार्थ भाव के साथ थे, अपेक्षाएं नहीं थी, प्रत्येक व्यक्ति बहुत गहरे से जुड़ाव रखने वाला था। भले ही रिश्ता हो या घर परिवार की स्मृतियां हो, छोटी-छोटी खुशियां है जो हमारे साथ में हमेशा गाहे-बगाहे चलती रहती है किन्तु व्यक्ति बहुत बड़े-बड़े सपनों की उधेड़बुन में जिंदगी निकालता चला जाता है। जो आज हमारे सामने है, भले ही कलिग आपको कह दे चलो चाय पीकर आते हैं। वो जो समय बीत रहा है हम उसको बहुत अच्छे से आनंदित होकर जीने का काम कर सकते हैं किन्तु लगातार ऊहापोह में है, चाय पीएंगे समय बर्बाद होगा, समय गंवाएंगे, हमें काम करना है, किन्तु पांच मिनट का ब्रेक भी रिफ्रेश कर सकता है। 

व्यक्ति उसे स्वयं से हासिल नहीं करता और आगे आगे से भागता चला जाता है। ठीक उसी तरह से रोशनदान से हमारे घर में और हमारे जीवन में प्रवेश कर चुकी होती है, उसको महसूस करने की आवश्यकता है। जो बचपन हमारे सामने पल रहा है, बढ़ रहा है, उसको बहुत अच्छे से देखने की आवश्यकता है। उन यादों को बनाने की आवश्यकता है। भागदौड़ के भीतर जिंदगी बीतती चली जाती है, किन्तु हम इतना कुछ पीछे जोड़ देते हैं जो पुन: हासिल हो नहीं सकता। जीवन है तो जद्दोजहद रहेगी। जीवन है तो संघर्ष रहेंगे। जीवन है तो कर्म साथ में चलेंगे। किन्तु छोटी-छोटी खुशियां इस सफर में लगातार मिलती चली जा रही है जिसको हासिल करने की आवश्यकता नहीं है, वो सामने है। हम सारे ही पलों को जीवन में जोड़ते चले जाएं, इन्हीं कामनाओं के साथ में आगे चलना चाहिए।

Comments