जिस कार्य में दक्षता और हुनर हो उसे अवश्य करें ।



यह बात हम सभी ने जीवन में न जाने कितनी बार सुनी है कि जहां पर मन पूरे तरीके से रचा-बसा हो वहां स्वयं को जोडऩे का प्रयास करना चाहिए, जहां एकाग्रता पूरी अपनी स्थितियों के साथ में मौजूद हो वहां हमको अपना समय व्यतीत करना चाहिए। जिस कार्य में ईश्वर प्रदत्त दक्षता और हुनर मौजूद हो उसी ओर हमको और गहराई से जुडऩा चाहिए। 

आध्यात्मिकता का चरमोत्कर्ष भी यही कहता है कि जिस कार्य के साथ में आप संलग्न हैं उसको इन्डेफ्थ एप्रोच के साथ में जानिये। तो जब हमारा मन रचा-बसा है, हमारी सारी ही स्थितियां जुड़ी हुई हैं, तो वहां हम बहुत अच्छा प्रफार्म कर पाते हैं। इसको और अधिक सरल शब्दों में समझा जाए तो उदाहरण से समझा जा सकता है। एक बच्चा पसीने से तरबतर लगातार खेल रहा है, उसको न पसीने की चिंता है, न छोटी-मोटी चोट की चिंता है। जैसे ही वह पढऩे की ओर आता है, उसको गर्मी लगने लगती है और कई डिस्ट्रेक्शन सामने आते हैं। इसका अर्थ क्या है। कि उसका जुड़ाव, उसकी एकाग्रता उस खेल के साथ अपने चरमोत्कर्ष को प्राप्त करती है, किन्तु इसको विभेद के साथ में देखना आवश्यक है। वहां सिर्फ फैशीनेसन्स है या फिर वहां डिटरटिमेशन का लेवल मौजूद है। जहां पर भी हम अपने बच्चों के भीतर किसी आसपास के व्यक्ति विशेष के भीतर यह देखते हैं कि तुम्हारे भीतर ये हुनर मौजूद है। सर्कम्सचांसेज की ड्रिवेन होकर तुम कोई और कार्य तो कर रहे हो, वो ठीक है। 

कई बार ग्रहीय व्यवस्थाएं ऐसी सरर्कमचांसेज ड्रिवन एप्रोच में व्यक्ति को लेकर आती है कि जहां फाइनेंसियल लेवल की केलकुलेशन्स आवश्यक है। अपने घर-परिवार को चलाना जरूरी है। किन्तु मेरा यही नम्र निवेदन रहता है कि जो हुनर, जो एकाग्रता का स्तर किसी कार्य के साथ में आपके लिए मौजूद रहा है, उसको कभी भी नहीं छोड़े। उसके साथ में जीवन को जोड़े जरूर। एक उम्र समझने की होती है, जहां पिता समझाते हैं, जहां माता जी समझाती है, मित्र समझाते हैं, आसपास के सिच्एशन समझाती है। एक उम्र उसके बाद आती है, जहां समझना और समझाना दोनों ही चलता है। कभी गृहस्थ पक्ष से हम समझते हैं, तो कभी गृहस्थ पक्ष को हम समझाने का कार्य करते हैं। एक उम्र समझने-समझाने और साथ ही साथ में खुद को जानने के प्रयास के साथ में भी चलती है। उम्र के ये तीनों ही दायरे अलग-अलग हैं। किन्तु इन सारे ही स्तर के ऊपर एक बात को हमेशा याद रखा जाए कि जहां हम खुद को खोज सकते हैं, किसी कार्य में खुद को खो भी सकते हैं, वहां पर जरूर हम जुडऩे का प्रयास करें।

Comments