ज्योतिष में ग्रहों का उच्चस्थ और नीचस्थ प्रभाव ।

 जब भी कोई व्यक्ति जन्म पत्रिका का विश्लेषण करवाता है तो वह ग्रहों के उच्च और नीचस्थ के प्रभाव के बारे में सुनता है। आप जब भी चर्चा करेंगे तो पाएंगे सूर्य देव की स्थितियां नीचस्थ आधार पर है तो उनके प्रभाव कैसे होंगे। यदि कोई ग्रह उच्चस्थ चल रहा है तो उनके प्रभाव कितने सकारात्मक तौर पर सामने आएंगे।

 एक मानवीय जिज्ञासा यह भी उठती है कि ये प्रभाव आखिरकार उच्चत्व और नीचत्व के आधार पर चलते क्यों है। किसी के यहां आप गए, जहां मन मिलता नहीं है, कुछ न कुछ कुंठाएं जन्म लेने लगती है। वाइब्रेशन के अंदर नेगेटिविटी है, आपके विचार बिलकुल भी नहीं मिलते। जिस कार्य को आप करते रहे हैं वो बिलकुल हदों के साथ चलता हुआ रहा है और अपनी पूरी प्रक्रियाओं के अंदर सोच और समझ को लेकर चला है। किन्तु दूसरा जो कर रहा है उसमें अनर्गल स्थितियां सामने आती है तो वहां एक वैचारिक द्वंद्व आता है। आप खुद को सहजता के साथ नहीं पाते। किन्तु वहीं यदि किसी ऐसे व्यक्ति के घर चले जाएं जो कि आपके विचारों से सहमत भी है। पूर्णतया जुड़ाव भी आप वहां पर महसूस करते हैं। अपनी बातचीत को जब रखते हैं तो अगला व्यक्ति उसे स्वीकारता है। आप कोई कार्य साथ में करना चाहते हैं तो वहां अच्छे से वो व्यक्ति रेस्पोंस भी कर रहा है तो इस आधार पर आप वहां पर अपने कर्म को जोडऩे की कोशिश करते हैं तो एक ऊर्जा मिलती है और उसी ऊर्जा के साथ में चलते हुए आप एक अच्छे फ्लो को प्राप्त करते चले जाते हैं। ये एक पोजीशन है जो व्यक्तिगत जीवन में भी हम कई बार देखते हैं। कहीं पर सहज है, और कहीं पर असहज है। असहज होने के साथ में खुद को पूरे तरीके से बंधा हुआ पा रहे हैं। 

इसी तरह से सूर्य देव की स्थितियों की मैं चर्चा करूं तो ग्रहों के सेनापति मेष राशि के भीतर  रहेंगे तो उच्चत्व आधार को प्राप्त होंगे। वहीं एक सर्व साधारण उदाहरण में देखिये वृहस्पति कर्क राशि स्थान में होंगे तो मन के आधिपति की राशि में वृहद ग्रह, जिनके पास ज्ञान का समुचित आधार है, वो जब होंगे तो वहां पर मन एक नवीन स्पंदन को प्राप्त करेगा। मन एक तीव्रगामी स्तर पर चलता हुआ होगा। तो कामकाज के साथ में बढ़ोतरी और वहीं पर आपका क्षेत्र विशेष ज्ञान के साथ में मन के भीतर जुड़ाव रखेगा, वो और ज्यादा ग्रोथ की ओर जा पाएगा। यही वजह है कि हम प्रत्येक ग्रह की उच्चत्व और नीचत्व के आधार को जानने का प्रयास जरूर करें और उसीसे हम अपनी जो इंटरेनसिक पर्सनलटी मूलभूत प्रकृति के बारे में भी काफी हद तक जानकारी प्राप्त कर पाते हैं। ये सारा ही एक आधार लिए हुई गतिविधियां है जिसको समझकर व्यक्ति अपनी जन्म कुंडली के विश्लेषण में स्वयं भी काफी हद तक आगे बढ़ सकता है। ये प्रयास निरन्तर करने चाहिए। किन्तु जो भी जिज्ञासा उठती है उसको शांत जरूर कीजिये जिससे और अधिक स्पष्टता साथ में बनती चली जाए।

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