मुस्कुराना जीवन का सबसे बड़ा आधार है ।


कामकाज की आपाधापी, जद्दोजहद के माहौल में अपने पास्ट को देखते हुए वहां से कुछ नकारात्मकता के अनुभव को मन के भीतर समेटते हुए भावी भविष्य कुछ संशय मन में लिए हुए जब हम चलते हैं तो कई बार मुस्कुराना भूल जाते हैं। कोई बहुत सुंदर-सा दृश्य सामने है, बच्चे खेल रहे हैं, हम वहां पर रुके हुए हैं, किन्तु वहां पर भी मुस्कुराहट हमारे साथ नहीं है। न जाने कौन सी सोच के अंदर हम उलझे हुए हैं। मुस्कुराना भूल जाते है, हंसना भूल जाते हैं। जद्दोजहद तनाव मन के भीतर आने लगती है, ऐसा लगता है शायद कुछ हासिल कर ही नहीं पाएंगे। हासिल करने के दौर के अंदर एक उमंग और उत्साह ऐसे थे कि जब भी कुछ हासिल करेंगे ऊर्जा के साथ में होंगे। याद कीजिये वो दिन जब बहुत कुछ नहीं हुआ करता था। या कुछ भी नहीं हुआ करता था। 

अर्थ तंत्र के परिप्रेक्ष्य में बात कर रहा हूं। वहां पर भी इंसान एक मुस्कुराहट के साथ में हंसी के साथ में रहता है तो आगे बढ़ती हुई उम्र के अंदर ये पीछे क्यों छोड़ देता है। बचपन के रिफलेक्शन के साथ जाते हैं तो सहज हो जाते हैं। मुस्कुराहट सामने आने लगती है। जिस तरह से कई बार मेडिटेशन को नहीं भूलते। जिस तरह से कामकाज की जिम्मेदारियों को नहीं भूलते। जिस तरह से अपने सारे ही कर्तव्यों के निर्वहन को नहीं भूलते। उसी तरह हम मुस्कुराना भी नहीं भूले। जब भी कोई अवसर सामने हो, जब ऐसा दृश्य सामने हो, सहज हो लिया जाए और जो चिंताएं जिस तरह से चल रही है उनको तो हम एक फ्लो के साथ में लेकर चलेंगे ही, रोकना संभव नहीं है, किन्तु इसके अलावा जब भी आपको लगता है कि पांच मिनट भी कुछ ऐसा दृश्य या कोई ऐसा मनोरम आधार मिल रहा है जो मन को सुकून दे सकता है, वहां बैठना आवश्क है। समय गुजारना आवश्यक है। कुछ ऐसी स्थितियां नहीं हो तो ऐसे दोस्त को फोन लगा दीजिये जहां से हम हमेशा उस कनर्वजेशन के साथ आनंद महसूस करते हैं। खुलकर हंस पाते हैं आप पाएंगे जितनी भी चिंता बनी हुई थी, पीक को एचीव कर रही थी, वहीं पर वो सारी ही चिंता का माउंट ढह जाता है और फिर से नए रास्ते की ओर चल पाते हैं। 

हंसना, सहज रहना, मुस्कुराना जीवन का बहुत बड़ा आधार है जो व्यक्ति इसको समेट कर चलता है वो बहुत ज्यादा तनाव में नहीं आ पाता और मानसिक बीमारियों से भी दूर रहता है। जब भी व्यक्ति ह्यूमर के साथ चलेगा, व्यंग्य के साथ चलेगा और ऐसी ही सारी स्थितियों को अपने साथ में लेकर चलता चला जाएगा तो जीवन कि जो ये यात्रा है कहीं न कहीं सुखद अहसास भी देगी। तो हम यदि भूल चुके हैं मुस्कुराना या फिर हम किसी दिन के अंदर याद ही नहीं कर पाएं कि तनाव किन क्षणों में कौन सा ऐसा आधार हमारे सामने आया था, जहां रुका जा सकता था, जिसको मिस कर गए। रात को यह सोचकर सोएं कि कल ऐसे किसी भी दृश्य हम खुद से दूर लेकर नहीं जाएंगे वहां तनाव को हमारे ऊपर विजय प्राप्त नहीं करने देंगे।

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