मकर संक्रांति पर की जाने वाली दान-पुण्य की महिमा ।

 जब व्यक्ति मन खोलकर सहज मुस्कुराहट के साथ  लोगों से मिलता है तो उनके मन में अपनी जगह अच्छे से बना पाता है। आर्थिक सम्पन्नता हमें हमारे कर्म, प्रारब्ध और भाग्य से मिली है जब उसके साथ व्यक्ति अपना हाथ खोलता है तो वहीं से अपने लिए पुण्य फलों की जाग्रति कर पाता है। जब भी व्यक्ति लगातार शामिल करने की प्रवृतियों के बारे में सोचेगा, वो संकुचित होगा, जहां हाथ खुलते हैं वहीं पर उसका संतोष बढऩे लगता है। मन में शांति व्याप्त होने लगती है। जब भी हम अर्थोपार्जन की ओर जा रहे हैं तो मकसद होता है खुद के लिए भौतिक सुख-सुविधाओं को हासिल करना। किन्तु जैसे ही दूसरों के बारे में सोचने लगते हैं वहीं से नजरिया परिवर्तित होने लगता है वहीं से भीतर की संवेदनाएं अलग तरीके से जाग्रति के साथ चलती है और ये संतोष की भावना हमारे आवरण के साथ में हमारे आभामंडल के साथ में भी चलने लगती है। 

जब भी सूर्य देव मकरस्थ प्रवेश करते हैं, अपने पुत्र की राशि में प्रवेश करते हैं। इस नव ग्रहीय व्यवस्था में सूर्य और शनि देव दोनों पिता पुत्र है। आध्यात्मिकता की स्थितियों में इन दोनों ही ग्रहों का प्रभुत्व अलग तरीके से है। ज्योतिष विद्या के अध्ययन की ओर जाते हैं और भौतिकता से आध्यात्मिकता की ओर अपने दृष्टिकोण को लेकर चलते हैं तो इन दोनों ही ग्रहों का गूढ़ प्रभाव जीवन पर नजर आता है। ऐसा संचरणीय परिवर्तन सामने हो जब शनि देव मकरस्थ ही चल रहे हों, सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करने वाले हों और साथ ही साथ में देव गुरु वृहस्पति भी मकर में ही चलायमान हो, भले ही नीचस्थ स्थितियों के साथ में हो, किन्तु ज्ञान ही व्यक्ति को आध्यात्मिकता के बोध के साथ में लेकर चलने वाला होता है। 

जब भी व्यक्ति आज से दूर हटकर कल के बारे में, कल से दूर हटकर वर्षों के बारे में सोचेगा तो उसे दान-पुण्य की महिमा सामने आएगी। सूर्य देव अनुशासन के साथ चलते हैं। सूर्य देव की स्थितियां व्यक्ति के भीतर की आत्मा की अक्षुण्णता है वहां तक सम्प्रेषण देने वाली होती है। वहीं और गहरे प्रभाव के साथ में जाना जाए तो एक ऐसा ग्रह जो कि प्रकाश भी देता है तो व्यक्ति को तपाता भी है। साथ में छह वर्षों की दशा आती है तो व्यक्तिगत जीवन में हम परिवर्तन देख पाते हैं। लगातार भागदौड़ रहती है वो भागदौड़ सकारात्मकता की ओर जाती है और जब रवि उत्तरायण की ओर हो उसी दिन के अंदर दान और पुण्य की महिमा को जानना चाहिए। हम जिस तरह भी, जैसे भी, जिस भी आधर के ऊपर सेवार्थ दान-पुण्य दे पाएं उसकी महिमा अनूठी है। प्रत्येक राशिवार क्या दान-पुण्य करें इसका विवरण अलग से एपिसोड में दिया गया है उससे अपनी राशिनुसार दान-पुण्य की ओर जाना बेहतर रहेगा।

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