शिव कवच से चंद्र दोष का निवारण || Vaibhav Vyas



शिव कवच से चंद्र दोष का निवारण 

 शिव कवच से चंद्र दोष का निवारण प्रतिदिन नित्य-नियमपूर्वक शिव कवच करने से ग्रह बाधाएं दूर होकर आत्मिक संतुष्टि प्राप्त होने लगती है। शिव की विधिवत पूजा-अर्चना के पश्चात शिव के सम्मुख शिव कवच का श्रवण-वाचन हर विघ्न-बाधा से मुक्ति दिलाने वाला होता है। 

।।श्रीगणेशाय नम:।। 

ऊँ नमो भगवते सदाशिवाय सकलतत्त्वात्मकाय सर्वमंत्रस्वरूपाय 
सर्वयंत्राधिष्ठिताय सर्वतंत्रस्वरूपाय सर्वत्त्वविदूराय 
ब्रह्मरुद्रावतारिणे नीलकंठाय पार्वतीमनोहरप्रियाय 
सोमसूर्याग्निलोचनाय भस्मोद्धूलितविग्रहाय 
महामणिमुकुटधारणाय माणिक्यभूषणाय 
सृष्टिस्थितिप्रलयकालरौद्रावताराय दक्षाध्वरध्वंसकाय 
महाकालभेदनाय मूलाधारैकनिलयाय 
तत्त्वातीताय गंगाधराय सर्वदेवाधिदेवाय 
षडाश्रयाय वेदांतसाराय त्रिवर्गसाधनायानंतकोटि
ब्रह्माण्डनायकायानंतवासुकितक्षककर्कोटकङ्खकुलिक 
पद्ममहापद्मेत्यष्टमहानागकुलभूषणायप्रणवस्वरूपाय चिदाकाशाय 
आकाशदिक्स्वरूपायग्रहनक्षत्रमालिने सकलाय कलंकरहिताय*
 सकललोकैकत्र्रे सकललोकैकभत्र्रे सकललोकैकसंहत्र्रे 
सकललोकैकगुरवे सकललोकैकसाक्षिणे सकलनिगमगुह्याय 
सकल वेदान्तपारगाय सकललोकैकवरप्रदाय 
सकलकोलोकैकशंकराय शशांकशेखराय शाश्वतनिजावासाय 
निराभासाय निरामयाय निर्मलाय निर्लोभाय निर्मदाय निश्चिंताय
 निरहंकाराय निरंकुशाय निष्कलंकाय निर्गुणाय निष्कामाय 
निरुपप्लवाय निरवद्याय निरंतराय निष्कारणाय निरंतकाय 
निष्प्रपंचाय नि:संगाय निद्र्वंद्वाय निराधाराय नीरागाय 
निष्क्रोधाय निर्मलाय निष्पापाय निर्भयाय निर्विकल्पाय 
निर्भेदाय निष्क्रियय निस्तुलाय नि:संशयाय निरंजनाय 
निरुपमविभवायनित्यशुद्धबुद्ध परिपूर्णसच्चिदानंदाद्वयाय 
परमशांतस्वरूपाय तेजोरूपाय तेजोमयाय 
जय जय रुद्रमहारौद्रभद्रावतार 
महाभैरव कालभैरव कल्पांतभैरव कपालमालाधर खट्वांगखड्गचर्मपाशांकुशडमरुशूलचापबाणगदाशक्तिभिंदिपालतोमरमुसलमुद्गरपाशपरिघ भुशुण्डीशतघ्नीचक्राद्यायुधभीषणकरसहस्रमुखदंष्ट्राकरालवदनविकटाट्ट
हासविस्फारितब्रह्मांडमंडल 
नागेंद्रकुंडल नागेंद्रहार नागेन्द्रवलय नागेंद्रचर्मधरमृयुंजय 
त्र्यंबकपुरांतक विश्वरूप विरूपाक्ष विश्वेश्वर वृषभवाहन 
विषविभूषण विश्वतोमुख सर्वतो रक्ष रक्ष मां ज्वल ज्वल 
महामृत्युमपमृत्युभयं नाशयनाशयचोरभयमुत्सादयोत्सादय 
विषसर्पभयं शमय शमय चोरान्मारय मारय 
ममशमनुच्चाट्योच्चाटयत्रिशूलेनविदारय 
कुठारेणभिंधिभिंभधि खड्गेन छिंधि छिंधि खट्वांगेन 
विपोथय विपोथय मुसलेन निष्पेषय निष्पेषय वाणै: 
संताडय संताडय रक्षांसि भीषय भीषयशेषभूतानि निद्रावय 
कूष्मांडवेतालमारीच ब्रह्मराक्षसगणान्संत्रासय संत्रासय 
ममाभय कुरु कुरु वित्रस्तं मामाश्वासयाश्वासय 
नरकमहाभयान्मामुद्धरसंजीवय संजीवयक्षुत्तृड्भ्यां 
मामाप्याय-आप्याय दु:खातुरं मामानन्दयानन्दयशिवकवचेन 
मामाच्छादयाच्छादयमृत्युंजय त्र्यंबक 
सदाशिव नमस्ते नमस्ते नमस्ते।

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