समय की कीमत को पहचानें I

बहुत छोटी उम्र से एक कथन हम सुनते आए हैं, समय को व्यर्थ बर्बाद नहीं करना चाहिए। अब इस युक्ति को थोड़ा और डेप्थ में जाकर समझने की आवश्यकता है। हम सुबह से शाम तक कामकाज में लगे रहे। तकरीबन एक घंटा ऐसा बीता जिसको हम यूटिलाइज कर सकते थे। कहीं पर थोड़ी देर किसी से बतिया लिए। कहीं किसी व्यक्ति विशेष से मुलाकात थोड़ी सी लम्बी चल गई और खुद के एंटरनमेंट के लिए किसी विधा के साथ में चलते चले गए तो लगने लगता है कि हमने ये समय व्यर्थ कर दिया। किन्तु इसके उलट किसी व्यक्ति ने ऑफिस के अंदर हमको यह कहा कि आपने शर्ट बहुत बेहतर नहीं पहनी है। आपके ऊपर ये शूट नहीं कर रही है। आपके बोलने का तरीका हमको इतना पसंद नहीं है। आप जिस तरह से काम करते हैं वो आपकी शैली नहीं है। दो-तीन घंटे तक व्यक्ति उसके ऊपर मनन करता चला गया। घर के भीतर किसी बातचीत को लेकर कलह हुई, हम तीन-चार दिन एक बोलचाल के अंदर नहीं रहते। समय को व्यर्थ करने वाली स्थितियां यहां से भी निकलकर आती है। कोई व्यक्ति कॉलेज लाइफ या प्रोफेशनल लाइफ में चुभती बात कह देता है, हम बारम्बार रियेक्शन में चलते हैं, आप स्वयं को सबसे ज्यादा बेहतरी के साथ जानते हैं, किन्तु किसी व्यक्ति की कही गई बात से लम्बे समय तक अपने लिए जो बहुमूल्य क्षण इसको बर्बाद करते चले जाते हैं। व्यक्ति एंटरटेनमेंट के लिए समय जाया नहीं करते, जबकि ऐसी सोच के साथ करता चला जाता है।

 उदाहरण देखें एक व्यक्ति बैंकिंग या आई.टी. इंडस्ट्री के साथ जुड़ा, अच्छा-खासा पोंटेशियल है, सारे ही लोगों के बीच लोकप्रिय स्थितियों में पहुंच जाता है, कम्फर्ट जोन मिलता है। 15 वर्ष का समय वहां निकाल देता है। उसके साथ के लोग कम पोटेंशियल रखने वाले थे, इन 15 वर्षों के अंदर कहां तक की दूरी को पार करके अपनी स्किल्स को डवलप करते हुए आगे बढ़ते चले गए। 15 वर्षो के बाद वह पीछे देखता है तो कम्फर्ट जोन सालने लगता है। लगता है मैंने समय व्यर्थ करके गलती की है। वहां वास्तविकता में समय व्यर्थ हुआ, कम्फर्ट जोन नहीं छोड़ा। वहीं पर भी शिक्षा संबंधित स्थितियों में है, हम अपनी रुचि के साथ नहीं चलते हैं तो वहां पर भी कई बार समय की बर्बादी करने वाले हो जाते हैं तो समय की स्थितियों को जाया करने का तरीका है, किस तरह से व्यक्ति अपने बहुमूल्य क्षणों को व्यर्थ कर रहा है इसके बारे में बड़े स्तर पर आंकलन की आवश्यकताएं भी रहती है।

 महीने की शुरुआत है दीपावली जैसा पर्व सामने है, व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पाथ-वे  डिसाइड करता है, उस पाथ-वे के अंदर पोजीशन्स किस-किस तरह से सामने आने वाली होगी ये भी एक गोल सेटिंग एप्रोच है। जब भी हम ऐसे गोल के साथ चलते हैं तो वहां पर समय का आंकलन आवश्यक हो जाता है। ये पहचाना जाए कि हमारे जीवन के अंदर समय कहां से व्यर्थ होता चला जा रहा है।

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