दृष्टिकोण : A Positive approach

 दृष्टिकोण, जो इंसान के जीवन को बनाता है तो कई बार उलझाता भी है। आपने किसी क्षेत्र विशेष में अपने इंटरेस्ट को दिखाया और उसमें जाने से पहले प्रोफेशनल लाइफ को अपनाने से पहले यह सोच लिया कि वहां पहले से बहुत सारे लोग मौजूद हैं जो मुझसे बहुत अच्छा नॉलेज रखते हैं। शायद मैं वहां सफल नहीं हो पाऊं।

समय सार्थक था। ईश्वर ने जो प्रकृति आपको देकर भेजी थी वह बिलकुल उसके साथ में जुड़ी हुई थी किन्तु संभावनाओं को स्वयं ही हमने नकाराने का कार्य कर दिया जो व्यक्ति जीवन में एक बार नहीं, बारम्बार करता है, जबकि इसके विपरीत हम देखते है कि जितना ज्ञान हमारे पास में किसी भी क्षेत्र विशेष का है, हम वहां पर अपनी पोजीशन्स को बनाएंगे और जितना ईश्वर प्रदत्त ज्ञान और जो एक समर्थित स्तर के ऊपर हमने हासिल किया है लोगों को उससे शत-प्रतिशत देने वाले होंगे। ये जब व्यक्ति की मंशा रहती है तो वह अपने स्थान को वहां पर बहुत अच्छे से बनाता भी है और अपनी जड़ों को भी वहां बहुत गहरे से निक्षेपित करने वाला होता है।  

जब व्यक्ति अपने इसी दृष्टिकोण के साथ में चलता है कि यहां लोगों के पास में इस कार्य का बहुत ज्यादा अनुभव है, लेकिन हम यहां ऊर्जा के साथ में है। हम सीखेंगे। प्रत्येक दिन गहराई के साथ में अनुभव लेंगे। हमारी प्रकृति, हमारा हुनर, हमारा समय बारम्बार यह कह रहा है कि हमको उस ओर जाना चाहिए तो आप देखेंगे कि कुछ ही वर्षों में, कुछ ही महीनों में, कुछ ही दिनों के अंतराल में व्यक्ति अपनी जगह बनाने में सक्षम हो पाता है, सबल हो पाता है। अर्थोपार्जन भी कर पाता है। नाम भी कमा पाता है। यश-मान और प्रतिष्ठा भी ले पाता है और लोगों के लिए उस लाइन में एक नया इंस्पीरेशन भी बन पाता है। सारे ही दृष्टिकोण की बदौलत व्यक्ति सफलता के द्वार को अपने लिए खोलने वाला हो सकता है। उसके लिए नजरिये को बदलने की आवश्यकताएं बारम्बार रहती है।

अपनी प्रकृति को बचायें, अपने इंटरेसिक नेचर को पहचानें। आपका औरा जो एक तरह से ऊर्जा का स्तर है, किस काम में लग रहा है, कहां आपको आनंद आ रहा है, वहां पर भी आपकी साधना है। वहीं पर आपकी आध्यात्मिकता छुपी हुई है। निरन्तर अपनी प्रेरणाओं को स्व-प्रेरणाओं के साथ में और ज्यादा अच्छे से बढ़ाते चले जाइये सफलता गाहे-बगाहे सामने आती चली जाएगी।

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