जन्माष्टमी पर करें कृष्ण की आराधना || Vaibhav Vyas


जन्माष्टमी पर करें कृष्ण की आराधना

जन्माष्टमी पर करें कृष्ण की आराधना हिंदू धर्म में हर महीने का अपना खास महत्व होता है। चतुर्मास के समय में भगवान विष्णु की विभिन्न अवतारों में पूजा होती है। भाद्र मास में भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में जन्म लिया था। इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी कहा जाता है। पूरे देश में मनाया जाने वाला यह उत्सव विशेषकर भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में धूमधाम से मनाया जाता है। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तारीख को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त 2025 की रात करीब 11.48 बजे से लगेगी और यह 16 अगस्त की रात को 9.34 बजे समाप्त होगी। ऐसे में 15 अगस्त को मध्य रात्रि आने से और 16 अगस्त को मध्य रात्रि से पहले अष्टमी तिथि समाप्त होने की वजह से जन्माष्टमी 2025 में कब है, को लेकर दुविधा है। लेकिन उदया तिथि देखें तो जन्माष्टमी 2025 की सही डेट 16 अगस्त है। 16 अगस्त को सर्वार्थ सिद्धि एवं अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं। वहीं निशिता पूजन काल 12.04 से 12.47 बजे तक का रहेगा। यही जन्माष्टमी पूजन का असली समय माना जाता है। मथुरा-वृंदावन में भी 2025 में जन्माष्टमी का त्योहार 16 अगस्त को मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण मथुरा नगरी में राजकुमारी देवकी और उनके पति वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में अवतरित हुए थे। मान्यता है कि जो व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रख कर पूजा- अर्चना करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की आराधना करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जन्माष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन लोग भजन कीर्तन करते हैं और जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दिन के लिए मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया जाता है। वहीं महाराष्ट्र में जन्माष्टमी के दिन दही हांडी का आयोजन किया जाता है, जो भगवान कृष्ण के बचपन की लीलाओं का प्रतीक है। हिंदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व होता है। इस दिन कई लोग व्रत करते हैं। माना जाता है कि जो भी पूरी भक्ति-भाव और विधि- विधान से पूजा और उपवास करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में भी इस दिन का खास का महत्व होता है, जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में हो उनके लिए ये व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस व्रत को दंपति विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए करते हैं. इसके अलावा अविवाहित लड़कियां लड्डू गोपाल का व्रत रखकर झुला झुलाती हैं उनके विवाह के संयोग जल्द बनते हैं। जन्माष्टमी से पहले लोग इस खास दिन की विशेष तैयारी करके भी भगवान को रिझाने का प्रयास करते हैं।

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