कजरी तीज का व्रत || Vaibhav Vyas


कजरी तीज का व्रत 

 कजरी तीज का व्रत पति की लम्बी आयु के लिए भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का व्रत महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन सुहागिन महिलाओं के साथ कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती है। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए कजरी तीज का व्रत रखती है तो वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए इस व्रत को करती है। कजली तीज का पर्व विशेषकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार सहित हिंदी भाषी राज्यों में भक्ति और श्रद्धाभाव से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कजली तीज का पर्व इस बार 12 अगस्त, 2025 मंगलवार को मनाया जाएगा। कजरी तीज को कजली तीज, बूढ़ी तीज और सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज को निर्जला व्रत भी कहा जाता है। कजरी तीज के व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इस व्रत को स्त्रियां अन्न और जल का त्याग कर पूर्ण करती हैं और फिर रात के समय चन्द्रमा को देखकर उनकी पूजा-अर्चना करने के पश्चात् अन्न-जल ग्रहण करती हैं। इस दिन कई स्थानों पर दान-पुण्य की महिमा का भी बखूबी पालना किया जाता है। वहीं विशेषकर राजस्थान में सत्तू बहन-बेटियों को देने का प्रचलन है। इसके तहत भिन्न-भिन्न प्रकार के सूत्तों को निर्मित करके बहन-बेटियों को दिया जाता है, जिसे वो चन्द्रमा की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् ग्रहण करती हैं। कजरी तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं के जीवन में सुख शांति लाता है। इसके साथ ही दांपत्य जीवन से जुड़ी परेशानियों को दूर करता है। इस दिन विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कुंवारी कन्याओं को इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की कामना पूर्ण होती है। इस दिन गाय की विशेष पूजा की जाती है। कई जगहों पर कजरी तीज पर पकवान भी बनाए जाते हैं। कजरी तीज व्रत का पारणा चंद्र दर्शन के बाद किया जाता है।

Comments