पूर्णिमा पर स्नान-दान-धर्म पुण्यदायी
पूर्णिमा पर स्नान-दान-धर्म पुण्यदायी हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह में आने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि सबसे शुभ तिथियों में से एक मानी जाती है। इस तिथि पर भगवान चंद्र अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। इसके साथ ही उनकी किरणें धरती पर समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करती हैं। इस दिन चन्द्रमा को अघ्र्य देना चाहिए साथ ही चन्द्रमा के मंत्रों का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक तंगी दूर होने वाली रहती है। इस दिन स्नान और दान-धर्म करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन अगर कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो जातक के जीवन में आ रहे तमाम संकटों का नाश होता है। चन्द्रमा मनसो जात अर्थात चन्द्रमा मन के अधिपति देवता माने गए हैं। इसीलिए इस दिन चन्द्रमा की पूजा-अर्चना करने से मन शांत चित्त होकर संतुष्टि देने वाला रहता है। पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ माह में पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जून को सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 11 जून को दोपहर 1 बजकर 13 मिनट पर होगा। पूर्णिमा का व्रत 10 जून 2025, मंगलवार को रखा जाएगा। इसका कारण यह है कि पूर्णिमा तिथि का आरंभ 10 जून को दिन में हो रहा है और यह पूरी रात तक रहेगी, जिससे चंद्र दर्शन और पूजन आसानी से हो सकेगा। इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 7 बजकर 40 मिनट रहेगा। वहीं, स्नान-दान और अन्य पुण्य कर्म 11 जून 2025, बुधवार को किए जाएंगे। इस दिन पवित्र नदी-सरोवर में स्नान करने से मात्र से ही पापों का क्षरण होने वाला रहता है। गंगा में स्नान करना इस दिन महत्वपूर्ण माना गया है। स्नान के पश्चात दान-पुण्य और जप-तप-ध्यान करने से मन की संतुष्टि के साथ-साथ जीवन में चल रही बाधाओं का भी निवारण होने लगता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर जरूर करें यह उपाय - ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पीपल के पेड़ पर भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी वास करती हैं। इसलिए ज्येष्ठ पूर्णिमा पर यदि कोई व्यक्ति एक लोटे में पानी भर कर उसमें कच्चा दूध और पतासा डालकर पीपल के पेड़ को अर्पित करे तो इससे उस व्यक्ति का फंसा धन वापस मिल जाएगा और उसे व्यापार में भी उत्तरोत्तर लाभ मिलने लगता है।

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