पूर्णिमा का व्रत देता सुख-सौभाग्य || Vaibhav Vyas


पूर्णिमा का व्रत देता सुख-सौभाग्य  

पूर्णिमा का व्रत देता सुख-सौभाग्य ज्येष्ठ माह में पडऩे वाली पूर्णिमा को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है। इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून 2024, शनिवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही गंगा स्नान और दान करने का अधिक महत्व है। मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से जातक को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और कार्य में आ रही रुकावट दूर होती है। अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो ज्येष्ठ पूर्णिमा पर श्री हरि और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करें। इससे जीवन सदैव खुशहाल रहेगा और धन लाभ के योग बनेंगे। पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ माह में पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जून को सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 11 जून को दोपहर 1 बजकर 13 मिनट पर होगा। पूर्णिमा का व्रत 10 जून 2025, मंगलवार को रखा जाएगा। इसका कारण यह है कि पूर्णिमा तिथि का आरंभ 10 जून को दिन में हो रहा है और यह पूरी रात तक रहेगी, जिससे चंद्र दर्शन और पूजन आसानी से हो सकेगा। इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 7 बजकर 40 मिनट रहेगा। वहीं, स्नान-दान और अन्य पुण्य कर्म 11 जून 2025, बुधवार को किए जाएंगे। ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजा विधि- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें, क्योंकि भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। भगवान सूर्य को अघ्र्य दें। इसके बाद चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर श्री हरि और मां लक्ष्मी की प्रतिमा विराजमान करें। गंध, पुष्प, फल, फूल और वस्त्र अर्पित करें। मां लक्ष्मी को श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं। देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें। विष्णु चालीसा का पाठ करें और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जप करें। भगवान विष्णु जी की आरती कर फल, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें। इस दिन की गई पूजा और मंत्र जाप शीघ्र फलदायी माने गए हैं। इसलिए सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इन मंत्रों का करें जप- श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: धन प्राप्ति के लिए जप मंत्र-  ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:। सुख - समृद्धि के लिए मंत्र जप- या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी। या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥ या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी। सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥

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