मोह व बंधनों से मुक्ति दिलाता मोहिनी एकादशी व्रत || Vaibhav Vyas



मोह व बंधनों से मुक्ति दिलाता मोहिनी एकादशी व्रत

 मोह व बंधनों से मुक्ति दिलाता मोहिनी एकादशी व्रत हर महीने में दो एकादशी पड़ती हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। वैशाख शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसे में इस दिन उपवास रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। वहीं मोहिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को समस्त मोह व बंधनों से मुक्ति मिलती है और वह जीवन में एक के बाद एक तरक्की करता चला जाता है। वैशाख शुक्ल एकादशी 2025, जो मोहिनी एकादशी भी कही जाती है, 8 मई को होगी। यह एकादशी तिथि 7 मई को सुबह 10.19 बजे शुरू होगी और 8 मई को दोपहर 12.29 बजे समाप्त होगी, इसलिए उदयातिथि के अनुसार 8 मई को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।  एकादशी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी निवृत होने के पश्चात भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-आराधना करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। एकादशी के व्रत के दिन अन्न का सेवन वर्जित माना गया है, इसलिए जहां तक संभव हो सके यथा फलों का सेवन करके ही व्रत करना उत्तम माना गया है। इस व्रत को करने वालों को संबंधित एकादशी की कथा का श्रवण-वाचन अवश्य करना चाहिए, जिससे व्रत का सम्पूर्ण फल मिलने वाला रहता है। मोहिनी एकादशी का महत्व- धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, समुद्र मंथन के बाद जब देव-दानवों में अमृत से भरा कलश पाने के लिए विवाद हो गया था तब वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक स्त्री का रूप धारण किया था। मोहिनी रूप में भगवान विष्णु ने दानवों को मोहित कर लिया था और उनसे अमृत भरा कलश लेकर देवताओं के हवाले कर दिया था, जिसे पीकर सभी देवता अमर हो गए। कहते हैं कि तभी से वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाने लगा।

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