भगवान विष्णु के मंत्र जाप देंगे धन-सम्पदा || Vaibhav Vyas


 
 भगवान विष्णु के मंत्र जाप देंगे धन-सम्पदा

भगवान विष्णु के मंत्र जाप देंगे धन-सम्पदा मंगलम भगवान विष्णु मंगलम् गरुड़ध्वज यह मंत्र विवाह मंत्र कहलाता है। इस मंत्र (मन की शांति के लिए मंत्र) का उच्चारण हर शुभ कार्य से पहले किया जाता है। विशेष तौर पर यह मंत्र विवाह के दौरान फेरों के समय बोलते हैं। विवाह जैसे मांगलिक कार्य में इस मंत्र के उच्चारण से बाधा नहीं आती है। विष्णु मंत्र तथा विष्णु श्लोक- गुरुवार को विष्णु मंत्र के साथ विष्णु गायत्री मंत्र और मंगलम भगवान विष्णु श्लोक का जाप करना फलदायी रहता है।  इससे भगवान विष्णु संपन्नता और वैभव प्रदान करते हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु जगत का पालन करने वाले देवता हैं। उनका स्वरूप शांत और आनंदमयी है। श्री हरि विष्णु के विविध मंत्र हैं जिनका जाप कर धन-वैभव एवं संपन्नता में वृद्धि की जा सकती है। विष्णु मंत्र हिंदी में - ऊँ नमो नारायणाय ऊँ नमो: भगवते वासुदेवाय ऊँ विष्णवे नम: ऊँ हूं विष्णवे नम: विष्णु गायत्री  महामंत्र - ।। ऊँ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।। ॥ ऊँ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु: प्रचोदयात् ॥ विष्णु के पंचरूप मंत्र - ऊँ अं वासुदेवाय नम: ऊँ आं संकर्षणाय नम: ऊँ अं प्रद्युम्नाय नम: ऊँ अ: अनिरुद्धाय नम: ऊँ नारायणाय नम: श्री हरी विष्णु का सरल जाप - ऊँ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।। धन-वैभव हेतु विष्णु मंत्र - ऊँ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ऊँ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।। मंगलम भगवान विष्णु मंत्र - मङ्गलम् भगवान विष्णु:, मङ्गलम् गरुणध्वज:। मङ्गलम् पुण्डरी काक्ष:, मङ्गलाय तनो हरि:॥ मंगलम भगवान विष्णु मंत्र अर्थ- भगवान विष्णु का मंगल हो, जिसके ध्वज में गरुड़ हैं उसका मंगलमय हो, जिसके कमल जैसे नेत्र हैं उसका मंगलमय हो, उस प्रभु हरि का मंगलमय हो। श्री विष्णु श्लोक अर्थ सहित - शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् । लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिध्र्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥ विष्णु मंत्र का अर्थ- मैं भगवान विष्णु को नमन करता हूं जो इस सृष्टि के पालक और रक्षक हैं, जो शांतिपूर्ण है, जो विशाल सर्प के ऊपर लेटे हुए हैं जिनकी नाभि से कमल का फूल निकला हुआ है जो ब्रह्मांड का सृजन करता है, जो एक परमात्मा है, जो पूरी सृष्टि को चलाने वाला है, जो सर्वव्यापी है जो बादलों की तरह सांवले हैं जिनकी आंखें कमल के समान है, वही समस्त संपत्तियों के स्वामी हैं, योगी जन उनको समझने के लिए ध्यान करते हैं, वह इस संसार के भय का नाश करने वाले हैं, सब लोगों के स्वामी भगवान विष्णु को मेरा नमस्कार।

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