ज्येष्ठ माह में करें भगवान त्रिविक्रम की पूजा
ज्येष्ठ माह में करें भगवान त्रिविक्रम की पूजा हिंदू कैलेंडर का तीसरा माह ज्येष्ठ मास है। ज्येष्ठ माह में भगवान त्रिविक्रम की पूजा करने का विधान है। जो लोग भगवान त्रिविक्रम की पूजा करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं और शत्रुओं पर जीत हासिल होती है। विष्णु पुराण में आए वर्णन के अनुसार जो जातक ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को व्रत रखकर भगवान त्रिविक्रम की पूजा करता है, उसके अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। ज्येष्ठ माह में करें भगवान त्रिविक्रम की पूजा भगवान त्रिविक्रम श्रीहरि विष्णु के अवतार हैं। राक्षसराज बलि को मुक्ति प्रदान करने वाले भगवान विष्णु के वामन अवतार को त्रिविक्रम के नाम से जानते हैं। उन्होंने तीन पग में पूरी सृष्टि नाप दी थी, उन 3 पग के कारण उनको त्रिविक्रम कहा जाता है। भगवान त्रिविक्रम की पूजा करके आप अपने दुश्मनों पर विजय पा सकते हैं और सभी पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष द्वादशी को भगवान त्रिविक्रम का व्रत रखते हुए विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर होकर सुख-शांति और खुशहाली प्राप्त होने वाली रहती है। ज्येष्ठ माह में क्या करें? 1. ज्येष्ठ माह में जल का दान करना बड़ा ही पुण्य फलदायी माना जाता है। इस वजह से ज्येष्ठ माह में राहगीरों को पानी पिलाना चाहिए। उनके लिए प्याऊ की व्यवस्था करनी चाहिए। पशु पक्षियों को भी पानी पिलाना चाहिए। विष्णु कृपा से व्यक्ति के सभी कष्ट मिट जाते हैं। 2. ज्येष्ठ माह में भगवान विष्णु, शनि देव, हनुमान जी की पूजा करने का विधान है। इन देवों की पूजा करने से व्यक्ति को कार्यों में सफलता मिलती है। जाने-अनजाने में किए गए पाप से मुक्ति मिलती है। 3. ज्येष्ठ में बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के दिन व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा करने का विधान है। जो विधि विधान से 4 बड़े मंगलवार का व्रत करता है और वीर बजरंगबली की पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 4. इस माह में जल की पूजा का महत्व है क्योंकि इस माह में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी दो बड़े व्रत एवं पर्व हैं। ये दोनों ही जल के महत्व को बताते हैं। गंगा दशहरा गंगा के अवतरण की महिमा का बखान करता है। गंगा के स्पर्श मात्र से पाप मिटते हैं और मोक्ष मिलता है, वहीं निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशी व्रतों के बराबर पुण्य देती है।

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