ज्येष्ठ मास में जल दान से मिलता पापों से छुटकारा || Vaibhav Vyas



ज्येष्ठ मास में जल दान से मिलता पापों से छुटकारा

 ज्येष्ठ मास में जल दान से मिलता पापों से छुटकारा हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह का समापन पूर्णिमा तिथि से होता है और इसके बाद हिंदू पंचांग का तीसरा महीना यानी ज्येष्ठ माह की शुरुआत होती है। इस माह में गर्मी अधिक होती है और सूर्य के तेज प्रकाश के कारण नदी व तालाब सूख जाते हैं। इसी वजह से ज्येष्ठ माह में जल का अधिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह में हनुमान जी, सूर्य देव और वरुण देव की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस माह में जल का दान करने से जातक को सभी तरह के पापों से छुटकारा मिलता है और जीवन सुखमय होता है। धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ माह संकटमोचन हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्रीराम से हुई थी। इसलिए इस माह में पडऩे वाले मंगलवार को व्रत करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और सभी तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है। ज्येष्ठ माह में अधिक गर्मी पडऩे की वजह से पानी की खपत बढ़ जाती है। ऐसे में व्यक्ति को पानी का संरक्षण करना चाहिए। इस माह में दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जल की सेवा करने से इंसान को पितरों का आशीर्वाद मिलता है और देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। ज्येष्ठ माह में पशु-पक्षियों के लिए भोजन और जल की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे  पुण्य की प्राप्ति होती है।

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