एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत से दूर होते दु:ख-संताप || Vaibhav Vyas


 
एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत से दूर होते दु:ख-संताप


एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत से दूर होते दु:ख-संताप सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती है। एक कृष्ण और दूसरी शुक्ल पक्ष में। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 16 मई को है। इस दिन एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। इस तिथि पर भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है। साथ ही व्रत किया जाता है। मान्यता है कि प्रभु गणेश जी की पूजा करने से व्याप्त सभी दुख और संताप खत्म हो जाते हैं। एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि- एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह उठें और दिन की शुरुआत गणपति बप्पा के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें। सूर्य देव को जल का अघ्र्य दें। चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा विराजमान करें। प्रभु को लाल चंदन, लाल फूल, दूर्वा, पान, सुपारी आदि चीजें अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें और गणेश चालीसा का पाठ करें। मोदक, फल समेत आदि चीजों का भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण करें। श्रद्धा अनुसार लोगों में वस्त्र, भोजन और धन का दान दें। भगवान गणेश पूजन मंत्र- त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।।

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