पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन से आती सुख-समृद्धि
पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन से आती सुख-समृद्धि सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि बेहद पुण्यफलदायी मानी गई है. मान्यता है कि श्री हरि विष्णु की अर्धांगिनी और धन की देवी माता लक्ष्मी को पूर्णिमा की तिथि बहुत प्रिय है। साल में 12 पूर्णिमा आती हैं लेकिन चैत्र माह की पूर्णिमा अधिक महत्वपूर्ण है। चैत्र पूर्णिमा हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा मानी जाती है। इस दिन स्नान-दान के अलावा हनुमान जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। इस दिन विष्णु जी के स्वरूप भगवान सत्य नारायण की पूजा की जाती है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए पूर्णिमा का व्रत भी रखा जाता है। चंद्रमा को अघ्र्य और रात में लक्ष्मी पूजन करने से सुख-समृद्धि आती है। चैत्र पूर्णिमा महत्व- चैत्र पूर्णिमा के दिन वानरराज केसरी नंदन और माता अंजनी के घर हनुमान जी का जन्म हुआ था। हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है। कहते हैं चैत्र पूर्णिमा पर जो बजरंगबली की आराधना करता है, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, रामायण पाठ करता है स्वंय हनुमान जी उसकी हर संकट में रक्षा करते हैं, साधक को जीवन में समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में रास उत्सव रचाया था, जिसे महारास के नाम से जाना जाता है। इस महारास में हजारों गोपियों ने भाग लिया था और हर गोपी के साथ भगवान श्रीकृष्ण रातभर नाचे थे. भगवान कृष्ण ने यह कार्य अपनी योगमाया से किया था। पूर्णिमा पर किया तीर्थ स्नान-दान कभी न खत्म होने वाला पुण्य प्रदान करने वाला माना जाता है।

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