चतुर्थी पर विनायक पूजा से मिलता सुख-समृद्धि का आशीर्वाद || Vaibhav Vyas


 
चतुर्थी पर विनायक पूजा से मिलता सुख-समृद्धि का आशीर्वाद 

चतुर्थी पर विनायक पूजा से मिलता सुख-समृद्धि का आशीर्वाद विनायक चतुर्थी का व्रत बेहद कल्याणकारी माना जाता है। यह दिन बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि के देवता भगवान गणेश को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बप्पा की आराधना करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। यह दिन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। सनातन धर्म में किसी भी शुभ और मांगलिक काम की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गणपति बप्पा की पूजा करने से साधक के सभी काम सफल होते हैं। वहीं, चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा करने की विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह में विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा।  इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के सभी बाधाएं दूर होती हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर हो रही है। वहीं, तिथि का समापन अगले दिन यानी 1 मई को सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में विनायक चतुर्थी 1 मई को मनाई जाएगी। पूजा विधि- सुबह उठकर भक्त पवित्र स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। एक लकड़ी की चौकी को साफ करें और उसपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। प्रतिमा को गंगाजल से साफ करें। पीले सिंदूर का तिलक लगाएं। पीले फूलों की माला अर्पित करें। मोदक का भोग लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं। वैदिक मंत्रों से बप्पा का आह्वान करें और विधि अनुसार पूजा करें। संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें। पूजा का समापन आरती से करें। भक्त भगवान को चढ़ाए गए प्रसाद से अपना व्रत खोलें। इस दिन गणेश के मंत्र जाप और स्तोत्र पाठ का श्रवण-वाचन करने से शुभ फल मिलने वाले रहते हैं। गणेश गायत्री मंत्र-  ऊँ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥ ऊँमहाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥ ऊँ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥ गणेश जी पूजन मंत्र- श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

Comments