अमावस्या पर तर्पण से पितरों की आत्मा को मिलती तृप्ति || Vaibhav Vyas


 
अमावस्या पर तर्पण से पितरों की आत्मा को मिलती तृप्ति

अमावस्या पर तर्पण से पितरों की आत्मा को मिलती तृप्ति धार्मिक दृष्टि से अमावस्या का विशेष महत्व होता है. चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष के आखिरी दिन अमावस्या होती है। इस दिन स्नान-दान और पितृ दोष से मुक्ति के लिए धार्मिक कर्म किए जाते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार अमावस्या को पूर्वज अपने वंशजों के यहां जाते हैं और उनसे भोजन ग्रहण करते हैं। पितरों की आत्मा तृप्ति के लिए चैत्र अमावस्या पर तर्पण करना श्रेष्ठ माना जाता है। चैत्र अमावस्या के अगले ही दिन यानी 9 दिवसीय चैत्र नवरात्रि शुरू हो जाती है। चैत्र अमावस्या 29 मार्च 2025, शनिवार को है। चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन नाकारात्मक शक्तियां सक्रिय होती है। अमावस्या के दिन किसी नदी में स्नान कर दान-पुण्य करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। अमावस्या पर स्नान के पश्चात यथाशक्तिनुसार जरूरतमंदों को भोजन-वस्त्र का दान करना चाहिए। अमावस्या के दिन नदी में स्नान के दौरान तर्पण से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है। इसलिए किसी जानकार पंडित से तर्पण कार्य करवाना चाहिए, जिससे उस तर्पण का पूर्ण लाभ मिल सके। चैत्र अमावस्या महत्व- चैत्र अमावस्या जीवन से दुख और नकारात्मकता को दूर करने में मदद कर सकती है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है, पितरों को बैकुंठ धाम मिलता है और परिवार वालों की वंश वृद्धि होती है। चैत्र अमावस्या व्यक्तियों के पापों को दूर करती है और उन्हें भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अमावस्या के दिन पितरों की आत्म तृप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। इन कार्यों को करने से पितृ दोष भी दूर होता है।

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