जया एकादशी व्रत से मिलती भय से मुक्ति || Vaibhav Vyas


जया एकादशी व्रत से मिलती भय से मुक्ति 

जया एकादशी व्रत से मिलती भय से मुक्ति पुराणों में माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन जया एकादशी का व्रत रखा जाता है। जया एकादशी के दिन उपवास रखा जाता है और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस एकादशी का जिक्र करते हुए शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक जया एकादशी व्रत को करता है, उसे मृत्यु के बाद भूत-प्रेत नहीं बनना पड़ता है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति पितृ, कुयोनि को त्याग कर स्वर्ग में चला जाता है। पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 07 फरवरी को रात 09 बजकर 26 मिनट पर हो रही है। वहीं, एकादशी तिथि का समापन 08 फरवरी को रात 08 बजकर 15 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में जया एकादशी व्रत 08 फरवरी को किया जाएगा। जया एकादशी 2025 व्रत पारण का टाइम- एकादशी व्रत पारण का द्वादशी तिथि पर किया जाता है। पंचांग के अनुसार, जया एकादशी व्रत पारण का समय 09 फरवरी को सुबह 07 बजकर 04 मिनट से लेकर 09 बजकर 17 मिनट तक है। जया एकादशी व्रत का पारण के बाद अन्न और धन का दान करें। माना जाता है कि दान करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। जीवन में सफलता के मार्ग खुलते हैं। जया एकादशी व्रत के दिन आप श्रीहरि विष्णु की पूजा सूर्योदय के समय से ही कर सकते हैं, क्योंकि इस समय प्रीति योग और रवि योग रहेगा। साथ ही इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 14 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। इस समय पूजा करके आप भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। जया एकादशी व्रत विधि- एकादशी व्रत वाले दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान करें। व्रत का संकल्प लें और फिर विष्णु जी की आराधना करें। भगवान विष्ण़ु को पीले फूल अर्पित करें। घी में हल्दी मिलाकर भगवान विष्ण़ु का दीपक करें। पीपल के पत्ते पर दूध और केसर से बनी मिठाई रखकर भगवान को चढ़ाएं। एकादशी की शाम तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं। भगवान विष्णु को केले चढ़ाएं और गरीबों को भी केले बांट दें। भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी का पूजन करें और गोमती चक्र और पीली कौड़ी भी पूजा में रखें।

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