विजया एकादशी का व्रत दिलाता है विजय || Vaibhav Vyas


 
विजया एकादशी का व्रत दिलाता है विजय

विजया एकादशी का व्रत दिलाता है विजय फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी के नाम से जानी जाती है। विजय प्राप्ति के लिए इस दिन श्रीहरि की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है। इस व्रत के विषय में पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में वर्णन मिलता है, कहा जाता है कि जब जातक शत्रुओं से घिरा हो तब विकट से विकट से परिस्थिति में भी विजया एकादशी के व्रत से जीत सुनिश्चित की जा सकती है। विजया एकादशी पापों का नाश करता है। सनातन धर्म में एकादशी का काफी महत्व होता है। फरवरी माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वह हर काम में सफल होता है। पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में विजया एकादशी 23 फरवरी को दोपहर 01 बजकर 55 मिनट पर शुरू होकर 24 फरवरी दोपहर  01 बजकर 44 मिनट पर खत्म होगी। उदयातिथि के अनुसार विजया एकादशी 24 फरवरी को ही मनाई जाएगी। विजया एकादशी पूजा विधि- विजया एकादशी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर निराहर व्रत रखें। घर में बाल गोपाल की पूजा करें। श्रीहरि का भी अभिषेक करना चाहिए। हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। गोपी चंदन का तिलक लगाएं। पूजा के दौरान ये मंत्र जपें - कृं कृष्णाय नम:, ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:। केला, माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से लक्ष्मी जी घर में ठहर जाती है। आरती के बाद प्रसाद वितरण करें और रात्रि जागरण करें गीता का पाठ करें। किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।

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