प्रदोष व्रत से होता पापों का प्रायश्चित
प्रदोष व्रत से होता पापों का प्रायश्चित हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस तिथि के अनुसार जो वार उस दिन होता है, प्रदोष व्रत उसी के नाम से जाना जाता है। जैसे माघ माह में कृष्ण पक्ष में इस बार बुधवार को है इसी वजह से इसे बुध प्रदोष कहा जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव यानी कि भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन शिव की आराधना करने से पापों का प्रायश्चित होता है औस सारे कष्ट दूर होते हैं। कुशाग्र बुद्धि और स्वास्थ्य के लिए कुंडली में बुध और गुरु, सूर्य का शुभ और बलवान होना जरूरी होता है। बुध प्रदोष व्रत के प्रताप से ये तीनों ग्रह शुभ फल प्रदान करते हैं। त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है और इस व्रत को करने से संतान सुख प्राप्त होता है और जीवन के सभी संकट भी दूर होते हैं। प्रदोष व्रत का दिन हिंदू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रदोष व्रत की महिमा का वर्णन शिव पुराण में मिलता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही, भगवान शिव की कृपा पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा करने से करियर-कारोबार में वृद्धि होती है और जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है। साथ ही, शादी में आ रही बाधाओं से छुटकारा मिलता है। माघ माह के कृष्ण पक्ष का पहला प्रदोष व्रत 27 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। सोंमवार के दिन पडऩे के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 26 जनवरी को रात 8 बजकर 54 मिनट से होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 27 जनवरी को रात को 8 बजकर 34 मिनट पर होगा। ऐसे में 27 जनवरी को सोम प्रदोष व्रत किया जाएगा। प्रदोष व्रत वाले दिन शिव परिवार की प्रदोष वेला में विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। पूजा के पश्चात शिव जी के स्त्रोत या मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। प्रदोष व्रत करने वालों को इससे संबंधित कथा का श्रवण-वाचन अवश्य करना चाहिए, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होने वाला रहता है।

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