पितरों का श्राद्ध तिथि के अनुसार करें
पितरों का श्राद्ध तिथि के अनुसार करें भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 17 सितम्बर से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो जाती है जो 3 अक्टूबर को मातामह श्राद्ध जिसे नान श्राद्ध भी कहा जाता है, तक रहेगा। इस बार महालय श्राद्ध पक्ष की शुरुआत मंगलवार तारीख 17 सितंबर से हो रही है। पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर को तथा एकम का श्राद्ध 18 तारीख को किया जाएगा। इसके पश्चात दूज का श्राद्ध 19 तारीख, तीज का 20 तारीख को, एवं चतुर्थी का श्राद्ध 21 तारीख को होगा। 22 तारीख को पंचमी और छठ का श्राद्ध एक ही दिन होगा। सप्तमी का श्राद्ध 23 तारीख और अष्टमी का श्राद्ध 24 तारीख को होगा। नवमी का श्राद्ध 25 तारीख, दशमी का श्राद्ध 26 तारीख, और एकादशी का श्राद्ध 27 तारीख को संपन्न होगा। 29 तारीख को बारस का श्राद्ध, 30 तारीख को तेरस का, 1 अक्टूबर को चौदस का और 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध संपन्न होगा। मातामह श्राद्ध शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तारीख 3 अक्टूबर को होगा। नियत तिथि पर श्राद्ध कर अपने पूर्वजों को प्रसन्न करें। पूर्वजों के निर्वाण की तिथि के अनुसार श्राद्ध करने की परम्परा रही है, जिसके चलते उपरोक्त तिथियों में पडऩे वाले श्राद्ध को उसी अनुरूप करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलने वाला रहता है। इस दिन किसी नदी-सरोवर में स्नान करने के पश्चात पितरों के निमित्त तर्पण किया जाता है तो पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और उनके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। मान्यताओं के अनुसार नदी-सरोवर में किया गया तर्पण पितरों को संतुष्टि देता है। इस दिन स्नान के पश्चात अन्न दान और जरूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जीवन में आ रही तकलीफें पितृ पक्ष में पितर संबंधित कार्य करने से उनका निवारण होता है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियां का आगमन होने लगता है। क्योंकि इस पक्ष में श्राद्ध तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। पितर दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करना शुभ होता है। मुख्यत: तो किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) आदि करवाना चाहिए।

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