अजा एकादशी व्रत से मिलती सुख-समृद्धि
अजा एकादशी व्रत से मिलती सुख-समृद्धि एकादशियों में एक श्रेष्ठ अजा एकादशी भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। जो कृष्ण जन्माष्टमी के तीसरे दिन मनाए जाने के कारण खास महत्व रखती है। व्रतराज ग्रंथ के अनुसार, भादो मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को 'अजा एकादशी' का व्रत रखा जाता है। सभी एकादशियों की तरह यह एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित है। अजा एकादशी की कथा सुनने से लाभ सनातन धर्म में अजा एकादशी का विशेष महत्व है। अजा एकादशी के दिन व्रत रखने से कई तरह के दुखों से निजात मिलने के साथ-साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। कहते हैं, जो साधक-साधिका सच्चे मन इस एकादशी को करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है। इस एकादशी से जुड़ी वास्तविक कथा, जिसे पढऩे और सुनने मात्र से पापों का नाश होता है और पुण्य ही पुण्य मिलता है। अजा एकादशी तिथि का आरंभ 28 अगस्त को मध्यरात्रि 1 बजकर 20 मिनट पर हो रहा है। अजा एकादशी तिथि का समापन 29 अगस्त की मध्य रात्रि 1 बजकर 38 मिनट पर होगा। उदय तिथि में एकादशी तिथि 29 अगस्त को होने के कारण अजा एकादशी का व्रत 29 अगस्त को ही रखा जाएगा। 29 अगस्त को दो शुभ योग भी बन रहे हैं। पहला सिद्धि योग और दूसरा सर्वार्थ सिद्धि योग इन दोनों योग को ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही शुभ माना गया है। इस दौरान आप जो भी पूजा पाठ करेंगे वह सभी सिद्ध और सफल होते हैं। इसलिए इस बार अजा एकादशी के दिन दान पुण्य के कार्य करने का दोगुना फल प्राप्त होगा। इस दिन व्रत करने वालों को सुबह स्नानादि से निवृत होने के पश्चात व्रत का संकल्प करके व्रत करना चाहिए। फिर श्री विष्णु हरि की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। संभव हो तो इस दिन किसी नदी-सरोवर में स्नान के पश्चात दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए, जिससे श्री विष्णु हरि की कृपा प्राप्त होती है। अजा एकादशी व्रत पारण का समय- अजा एकादशी व्रत पारण का समय 30 अगस्त को लाभ चौघडिया में 7 बजकर 34 मिनट से 9 बजकर 10 मिनट तक आप व्रत का पारण कर सकते हैं। इस दौरान व्रत का पारण करना बेहद शुभ रहने वाला है। एजा एकादशी का महत्व- पद्मपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति अजा एकादशी का व्रत करता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है। अजा एकादशी के प्रभाव से व्यक्ति के पापों का नाश होता है। साथ ही इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।मान्यता यह भी है कि इस व्रत को करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान शुभ फल मिलता है।

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