भाद्रपद का धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व
भाद्रपद का धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व भाद्रपद मास में भी विभिन्न देवी-देवताओंं की आराधना-उपासना का महीना माना गया है। इस माह में विशेषकर भगवान विष्णु की पूजा विधान माना गया है क्योंकि इस माह में भगवान कृष्ण के जन्म का महापर्व जन्माष्टमी और गणेशोत्सव का पर्व मनाया जाता है। इस माह में भक्ति और मुक्ति से जुड़े भाद्रपद मास में अन्य मास की तरह पूजन, दान, खान-पान आदि के अपने नियम हैं, जिन्हें सनातन परंपरा पर विश्वास करने वाले हर व्यक्ति धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व के साथ इस मास के दान एवं व्रत आदि से भगवान की प्रसन्नता के पात्र बनते हैं। भाद्रपद मास में पवित्र मन से व्रत, उपवास और साधना करने से पूर्व जन्मों में किए गए पाप भी दूर हो जाते हैं। इस मास में विधि-विधान से भगवान कृष्ण की पूजा करने पर संतान सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। भगवान विष्णु की कृपा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास में ईश्वर की साधना के साथ ब्रह्मचर्य का पालन करना, कभी भी किसी से झूठ नहीं बोलना और शाकाहारी जीवन व्यतीत करने से विष्णु की कृपा शीघ्र मिलने वाली मानी गई है। भाद्रपद मास मैं कई प्रमुख पर्व आने से पूजा-अर्चना और आराधना-उपासना का महत्व और बढ़ जाता है। इसी माह में कजली तीज भाद्रपद के कृष्णपक्ष की तृतीया, जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जायेगा। इस दिन देश-दुनिया में लोग कृष्ण की भक्ति में डूब कर यह महापर्व मनाते हैं। कृष्ण की नगरी मथुरा में तो जन्मोत्सव को मनाने के लिए मानो आस्था का सैलाब उतर आता है। इसके साथ ही अजा एकादशी भाद्रपद माह की कृष्ण एकादशी को भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाली अजा एकादशी मनाई जायेगी। भाद्रपद अमावस्या- पितरों की पूजा से जुड़ी यह तिथि पितरों के निमित्त पूजन, दान आदि का अत्यंत महत्व दर्शाती है, जिससे पितरों के निमित पूजन-दान-पुण्य से आत्मिक संतुष्टि मिलने वाली रहती है। साथ ही हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन माता पार्वती की पूजा गौरी रूप में की जाती है।

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