प्रदोष व्रत से मिलता भोलेनाथ का आशीर्वाद
प्रदोष व्रत से मिलता भोलेनाथ का आशीर्वाद देवों के देव महादेव को त्रयोदशी तिथि समर्पित है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रभु की पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन प्राप्त होता है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुरुआत 05 मई को शाम 05 बजकर 41 मिनट पर होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 06 मई को दोपहर 02 बजकर 40 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 05 मई को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का समय शाम 06 बजकर 59 मिनट से लेकर 09 बजकर 06 मिनट तक है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना संध्याकाल में करने का विधान है। पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 20 मई को दोपहर 03 बजकर 58 मिनट से होगा और इसके अगले दिन यानी 21 मई को शाम 05 बजकर 39 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में 20 मई को प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ समय शाम को 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 09 बजकर 12 मिनट तक है। प्रदोष व्रत का महत्व हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बेहद खास महत्व है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान शिव की पूजा करने से साधक को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही महादेव प्रसन्न होते हैं। प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर निवृत होने के बाद भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करें और व्रत का संकल्प लें। इस दिन सुबह शाम दोनों समय भोलेनाथ की पूजा-आराधना करने का विधान है। प्रदोष वेला में भोलेनाथ की पूजा के साथ ही साथ पूरे शिव परिवार की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इसके अलावा शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करने के बाद बिल्व पत्र चढ़ाने चाहिए। फिर वहीं मंदिर में बैठकर शिव स्त्रोत, शिव महिमा का जाप या शिव जी के सिद्ध मंत्र ऊँ नम: शिवाय का यथाशक्ति जाप करना चाहिए। ऐसा करने से भोलेनाथ की कृपा मिलने वाली रहती है। इस दिन व्रत करने वालों को इससे संबंधित कथा का श्रवण-वाचन अवश्य करना चाहिए, जिससे व्रत का सम्पूर्ण फल मिलने वाला रहता है।
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