वैशाख पूर्णिमा व्रत से मिलती सुख-समृद्धि || Vaibhav Vyas

वैशाख पूर्णिमा व्रत से मिलती सुख-समृद्धि


 वैशाख पूर्णिमा व्रत से मिलती सुख-समृद्धि हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा दोनों ही तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि के दिन स्नान-दान करने से पुण्यकारी फलों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में वैशाख महीने में आने वाली पूर्णिमा का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान सत्यनारायण के निमित्त व्रत रखने का विधान है। वैशाख पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति भगवान सत्यनारायण की पूजा करता है, उनकी कथा का पाठ करता है और भगवान को केले की फली, तुलसीदल आदि का भोग लगाता है, उसके परिवार में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। वैशाख पूर्णिमा तिथि का आरंभ- 22 मई 2024 को शाम 7 बजकर 47 मिनट से तथा समापन- 23 मई 2024 को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर होगा। वैशाख पूर्णिमा के दिन स्नान-दान के लिए ब्रह्म मुहूर्त- 23 मई 2024 को सुबह 4 बजकर 4 मिनट से सुबह 4 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस दिन चंद्रोदय का समय- 24 मई को शाम को 07 बजकर 12 मिनट पर होगा। बुद्ध पूर्णिमा- इसके अलावा वैशाख पूर्णिमा को विशेष तौर पर बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। बौद्ध धर्म में इस दिन का बहुत महत्व है, क्योंकि इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। साथ ही भगवान गौतम बुद्ध को सात वर्षों की कठिन तपस्या के बाद बिहार के बोध गया के बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति भी इसी दिन हुई थी। इसके अलावा भगवान गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण समारोह यानि उनके जीवन का अंतिम दिवस भी वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है। वैशाख पूर्णिमा का महत्व- वैशाख पूर्णिमा  के दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान-दान करने से पुण्यकारी लाभ मिलते हैं। वैशाख अमावस्या के दिन अपनी वस्त्र, धन, अन्न और फल का दान करने अति उत्तम माना जाता है। इसके अलावा इस दिन बर्तन, अनाज और सफेद वस्त्र का दान करना भी लाभकारी होता है। पूर्णिमा के दिन किसी भी तीर्थ स्थान पर स्नान का बहुत अधिक महत्व माना गया है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन केवल गंगा स्नान करने मात्र से ही कई जन्मों के पाप दूर होकर पुण्य फलों की प्राप्ति होने वाली रहती है। इस दिन स्नान के पश्चात भगवान की पूजा-अर्चना और दान-पुण्य करने से पुण्य फलों का उदय होने वाला रहता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-दान-जप-तप विशेष शुभ फलदायी माना गया है।

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