संकटनाशन गणेश स्त्रोत || Vaibhav Vyas

 संकटनाशन गणेश स्त्रोत 


संकटनाशन गणेश स्त्रोत से होगी हर परेशानी दूर सर्वप्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा नित्य प्रति करने से गणेश जी की कृपा मिलने वाली रहती है। ऐसे ही पूजा-आराधना के पश्चात प्रतिदिन संकटनाशन गणेश स्त्रोत का पाठ किया जाए तो गणेश जी का आशीर्वाद मिलने से जीवन में सुख- समृद्धि का वास रहता है। साथ ही उसको सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में यहां हम बात करने जा रहे हैं गणेश स्त्रोत की, जिसकी आराधना से गणेश जी प्रसन्न होते हैं। साथ ही धन-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। नारद पुराण में संकटनाशन गणेश स्तोत्र लिखा गया है, कहा जाता है इस स्त्रोत का पाठ करने मात्र से आप अपने जीवन की हर परेशानी दूर कर सकते हैं। 

संकटनाशन गणेश स्तोत्र- 

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी पुत्र विनायकम् । 

भक्तावासं स्मेर नित्यमास: कामार्थसिद्धये ॥1॥ 

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् । 

तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥2॥ 

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च । 

सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥ 

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् । 

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥ 

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंय: पठेन्नर: । 

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥ 

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् । 

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥ 

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासै: फलं लभते । 

संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशय: ॥7॥ 

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यŸच लिखित्वा फलं लभते । 

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥ ॥ 

इति श्री नारद पुराणे।। संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम्॥

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