नवरात्रि में मां की आराधना विधि-विधान || Vaibhav Vyas

 नवरात्रि में मां की आराधना विधि-विधान  


नवरात्रि में मां की आराधना विधि-विधान से करें चैत्र नवरात्र में मां की आराधना शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से करें जिससे मां का आशीर्वाद मिलने वाला रहता है। इसके लिए मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर, चौकी में बिछाने के लिए लाल रंग का कपड़ा, बंदनवार, सोलह श्रृंगार (बिंदी, चूड़ी, तेल, कंघी, शीशा आदि), थोड़ी पीसी हुई हल्दी, आसन, चौकी, मौली, रोली, कमलगट्टा, शहद, शक्कर, सिंदूर,पान, सुपारी, लौंग, बताशा, हल्दी की गांठ, नैवेध, जावित्री,नारियल जटा वाला, सूखा नारियल,  पंचमेवा, गंगाजल, नवग्रह पूजन के लिए चावल, पूजा की थाली, दीपक, घी, अगरबत्ती, वस्त्र, दही आदि। मां दुर्गा के श्रृंगार की लिस्ट- चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा का श्रृंगार अवश्य करना चाहिए। इसलिए आप श्रृंगार में लाल चुनरी, लाल चूडिय़ां, बिछिया, इत्र, चोटी, गले के लिए माला या मंगलसूत्र, पायल, नेल पेंट, लाली (लिपस्टिक),सिंदूर, बिंदी, काजल, मेहंदी, महावर, शीशा, चोटी के लिए बैंड, नथ, गजरा, मांग टीका, कान की बाली, कंघी, शीशा आदि श्रृंगार शामिल करें। पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 08 अप्रैल को रात्रि 11 बजकर 51 मिनट से होगा और और इस तिथि का समापन 09 अप्रैल को रात्रि 08 बजकर 29 मिनट पर होगा। ऐसे में चैत्र नवरात्र की शुरुआत 09 अप्रैल से होगी और 17 अप्रैल को समापन होगा। नवरात्र की शुरुआत से प्रतिदिन मां की पूजा-अर्चना माता के नौ अलग-अलग स्वरूपों में करना श्रेयष्कर रहता है। नवरात्रि में मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए नौ दिनों तक मां की आराधना करने के साथ-साथ नौ दिनों तक व्रत-उपवास रखकर सात्विकता के साथ संयमित रहकर चलना चाहिए। अष्टमी और नवमी को नौ कन्याओं का पूजन करके उनको माता का प्रसाद भोजन स्वरूप खिलाना चाहिए और इसके पश्चात उन्हें दान-दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।

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