अमावस्या पर तर्पण से पितरों की आत्मा को मिलती तृप्ति || Vaibhav Vyas

अमावस्या पर तर्पण से पितरों की आत्मा को मिलती तृप्ति 


अमावस्या पर तर्पण से पितरों की आत्मा को मिलती तृप्ति धार्मिक दृष्टि से अमावस्या का विशेष महत्व होता है. चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष के आखिरी दिन अमावस्या होती है। इस दिन स्नान-दान और पितृ दोष से मुक्ति के लिए धार्मिक कर्म किए जाते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार अमावस्या को पूर्वज अपने वंशजों के यहां जाते हैं और उनसे भोजन ग्रहण करते हैं। पितरों की आत्मा तृप्ति के लिए चैत्र अमावस्या पर तर्पण करना श्रेष्ठ माना जाता है। चैत्र अमावस्या के अगले ही दिन यानी 9 दिवसीय चैत्र नवरात्रि शुरू हो जाती है। चैत्र अमावस्या 8 अप्रैल 2024, सोमवार को है। इस दिन साल 2024 की पहली सोमवती अमवास्या का संयोग बन रहा है। इसके अलावा इस दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन नाकारात्मक शक्तियां सक्रिय होती है। पंचांग के अनुसार चैत्र अमावस्या की शुरुआत 8 अप्रैल 2024, सुबह 03.21 होगी और इसका समापन 8 अप्रैल 2024 को रात 11.50 मिनट पर होगा। इस दिन स्नान-दान का मुहूर्त - सुबह 04.32 से सुबह 05.18 तक तथा श्राद्ध करने का समय - सुबह 11.58 से दोपहर 12.48 तक रहेगा। चैत्र अमावस्या महत्व- चैत्र अमावस्या जीवन से दुख और नकारात्मकता को दूर करने में मदद कर सकती है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है, पितरों को बैकुंठ धाम मिलता है और परिवार वालों की वंश वृद्धि होती है। चैत्र अमावस्या व्यक्तियों के पापों को दूर करती है और उन्हें भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अमावस्या के दिन पितरों की आत्म तृप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। इन कार्यों को करने से पितृ दोष भी दूर होता है। चैत्र अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का साया- 8 अप्रैल 2024 चैत्र अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। सूर्य ग्रहण की शुरुआत रात 09.12 मिनट से होगी और इसका समापन मध्य रात्रि 01.25 मिनट पर होगा। सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 25 मिनट तक रहेगी। ये सूर्य ग्रहण मीन राशि, स्वाती नक्षत्र में लगेगा।

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