समस्याओं से मुक्ति दिलाता विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत || Vaibhav Vyas

 समस्याओं से मुक्ति दिलाता विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत 


समस्याओं से मुक्ति दिलाता विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत बेहद कल्याणकारी माना जाता है। संकष्टी का अर्थ है समस्याओं से मुक्ति। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत का पालन करने से भगवान गणेश जीवन की सभी चुनौतियों और बाधाओं को दूर करते हैं। साथ ही कल्याण करते हैं। विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत बेहद शुभ माना जाता है। यह दिन बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि के देवता भगवान गणेश को समर्पित है। इसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन बप्पा की पूजा-अर्चना करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। यह दिन कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। इस साल यह व्रत वैशाख कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 27 अप्रैल, 2024 दिन शनिवार को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, 27 अप्रैल प्रात: 08 बजकर 17 मिनट पर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 28 अप्रैल प्रात: 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर यह पवित्र उपवास 27 अप्रैल को रखा जाएगा, क्योंकि इस दिन चंद्र पूजन का महत्व है। विकट संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि- प्रात: उठकर साधक पवित्र स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। एक वेदी को साफ करें और उसपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। तस्वीर को गंगाजल से साफ करें। कुमकुम का तिलक लगाएं। पीले फूलों की माला अर्पित करें। मोदक का भोग लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं। वैदिक मंत्रों से भगवान गणेश का आह्वान करें और विधि अनुसार पूजा करें। संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ समाप्त कर आरती करें। भक्त भगवान को चढ़ाए गए प्रसाद से अपना व्रत खोलें। यह हिंदू परंपराओं में भगवान गणेश के आशीर्वाद के महत्व के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। 

भगवान गणेश पूजन मंत्र- 

त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।

 नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।

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