विजया एकादशी व्रत कथा || Vaibhav Vyas

विजया एकादशी व्रत कथा  


विजया एकादशी व्रत कथा हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, साल में कुल 24 एकादशी तिथियां पड़ती हैं। इन्हीं में से एक है फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी जिसका संबंध श्री राम से बताया जाता है। यूं तो एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है लेकिन इस एकादशी पर श्री हरि के साथ उनके ही स्वरूप श्री राम की पूजा का भी विधान है। विजया एकादशी का व्रत करने वालों को इस दिन कथा का श्रवण-वाचन करने से व्रत का संपूर्ण फल मिलने वाला रहता है। विजया एकादशी व्रत कथा  पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में जब श्री राम अपनी वानर सेना समेत समुद्र के किनारे पहुंचें थे तब उनके सामने बड़ी चुनौती थी समुद्र लांघना। इसके अलावा, वानर सेना के साथ रावण युद्ध में विजय प्राप्त करके धर्म की स्थापना करना भी उनका लक्ष्य था।  जब समुद्र में पत्थर डालकर सेतु बनाया जा रहा था तब ऐसा कहते हैं कि उस दौरान फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पड़ी थी। एकादशी के दिन श्री राम, लक्ष्मण, हनुमान जी समेत समस्त वानर सेना ने व्रत रखा था और विधि-विधान से पूजा-अर्चना की थी। श्री राम और उनकी समस्त वानर सेना की भक्ति देख एकादशी माता प्रसन्न हुईं और श्री राम एवं वानर सेना को अपने दर्शन दिए। एकादशी माता ने श्री राम और वानर सेना को रावण से युद्ध में विजय का आशीर्वाद प्रदान किया। इसके बाद रावण से युद्ध आरंभ हुआ। रावण से युद्ध में श्री राम और वानर सेना की विजय हुई और धर्म की स्थापना हुई। इसी के बाद से फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाने लगा। जो भी इस दिन व्रत रखकर पूजा करता है और कथा का श्रवण-वाचन करता है उसे हर काम में विजय प्राप्त होती है।

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