पितृदोष और इसका वास्तु दोष || Vaibhav Vyas

 पितृदोष और इसका वास्तु दोष


 पितृदोष और इसका वास्तु दोष से संबंध अक्सर भ्रांति वश समझ ही नहीं पाते कि असल में पितृ दोष व वास्तु दोष क्या व क्यों है? और इनके उपाय करने के बाद भी परेशानियां कम क्यों नहीं होती? तो इसके लिए सबसे पहले यह समझ लेना आवश्यक है कि पितृदोष क्या है और इसका वास्तु से क्या संबंध है। इस सम्बन्ध में जन्म कुंडली में पितृदोष होने के बाद हमारे घर में वास्तु दोष कहां उत्पन्न होता है, और कैसे इस वास्तु दोष को हटाकर हम पितृदोष के प्रभावों को काफी हद तक कम कर सकते हैं? इसके लिए सबसे पहले हम यह जानेंगे की पितृदोष बनता कैसे हैं। सूर्य हमारे पितृ है, और जब राहु की छाया सूर्य पर पड़ती है (तब सूर्य यानि की सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव काम हो जाता है) यानि कि जब राहू सूर्य के साथ बैठा हो, या राहु पंचम भाव में हो, या सूर्य राहु के नक्षत्र में हो, या पंचम भाव का उप नक्षत्र स्वामी राहु के नक्षत्र में हो तब ऐसी परिस्थिति में पितृदोष उत्पन होता है। ऐसा माना जाता है कि परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हो जाती है  तब उस परिवार में जन्म लेने वाले संतान में पितृ दोष आ जाता है (खासकर पुत्र संतान में) जिसकी वजह से उन्हें अपने जीवन में काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जिस व्यक्ति के जन्म कुंडली में पूर्ण पितृदोष होता है उन्हें पुत्र संतान का सुख प्राप्त नहीं हो पाता है। आपने ऐसे कई लोगों को देखा होगा जो कि मेडीकल के अनुसार स्वस्थ होते हैं लेकिन फिर भी संतान की प्राप्ति नहीं होती और डॉक्टर बताते हैं कि मेडिकल से उन्हें कोई परेशानी नहीं है फिर भी उन्हें संतान का सुख नहीं मिल पाता या कई लोगों के सिर्फ पुत्री ही होती हैं पुत्र धन की प्राप्ति नहीं हो पाती। ऐसी परिस्थिति में उनकी कुंडली में पितृदोष जरूर होता है और उनके घर में ईशान कोण या नैत्रत्य कोण में शौचालय जरूर होता है। कई बार पितृ दोष का प्रभाव इतना बढ़ जाता है व्यक्ति का सारा जमीन जायदाद एवं संपत्ति तक बिक जाता है और वह नई संपत्ति खरीद भी नहीं पाता। आपने ऐसे कई लोगों को ऐसे देखा होगा या सुना होगा जो बहुत बड़े जमींदार होते थे उनके पास बहुत ज्यादा पैसा होता था लेकिन आज उनके पास कुछ भी नहीं है यहाँ तक की अपना घर तक नहीं है इसका मुख्य कारण पितृदोष होता है। अब हम यह जानेंगे की पितृदोष का वास्तु से क्या सम्बन्ध है। घर में पितृ का स्थान दक्षिण और पश्चिम का कोना है यानी कि नैत्रत्य कोण है। जन्म कुंडली में जब भी पूर्ण पितृदोष बनता है यानी की राहु (जो कि नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत्र है) मजबूत हो जाता है, और जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में नकारात्मक उर्जा मजबूत होती है उस घर में भी उसका प्रभाव देखने को मिलता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह ईशान कौन से होता है और नकारात्मक उर्जा का प्रवाह नैत्रत्य कोण से होता है, जब जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है यानी कि राहु मजबूत होता है ऐसी परिस्थिति में वह व्यक्ति जिस घर में रहता है उस घर के नैत्रत्य कोण में वास्तु दोष जरूर होता है। नैत्रत्य कोण के मुख्यत: वास्तु दोष निम्नलिखित हैं- नैत्रत्य कोण में शौचालय का होना, डस्टबिन का होना, नाली का होना, दक्षिण पश्चिम में गंदगी होना (जो की राहु की नकारात्मक उर्जा को 100 गुना बढ़ा देता है) दक्षिण पश्चिम में पृथ्वी की उर्जा होती है अगर यहां पर पेड़ - पौधे रखे हों या दीवार का रंग हरा हो तो भी पृथ्वी की उर्जा समाप्त हो जाती है जिससे भी यहाँ पर वास्तुदोष पैदा होते हैं। वैवाहिक जीवन पर प्रभाव- घर में नैत्रत्य कोण रिश्ते का स्थान भी है, और अगर यहां पर वास्तु दोष होता है तो वैवाहिक जीवन में बहुत सारी परेशानियां आती हैं यहां तक कि कई बार बात तलाक तक पहुंच जाती है और जिसका कोई खास वजह नहीं होता, अगर किसी व्यक्ति के घर में आपसी रिश्ते खराब हो और बिना किसी कारण के बार-बार झगड़े होते हैं तो नैत्रत्य कोण में वास्तु दोष जरूर होगा। ऐसे में ज्योतिष के योग्य जानकार से विमर्श के पश्चात उचित उपाय से अवश्य समस्या का समाधान होता है और भ्रांतियों का भी निवारण होने वाला रहता है।

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