चैत्र शुक्ल पक्ष से होती हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत || Vaibhav Vyas

चैत्र शुक्ल पक्ष से होती हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत 


चैत्र शुक्ल पक्ष से होती हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत धार्मिक मान्यता अनुसार ब्रह्मा जी ने चैत्र महीने से ही सृष्टि की रचना की थी इसलिए इसका सबसे ज्यादा महत्व है। चैत्र मास की पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में होती है इसी कारण इस महीने का नाम चैत्र पड़ा। फाल्गुन महीना हिंदू कैलेंडर का आखिरी माह होता है, इसके बाद चैत्र महीना शुरू होता है, जो हिंदी पंचांग का पहला माह माना गया है। चैत्र महीने से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष शुरू होता है। इसी दिन से मां दुर्गा का सबसे बड़ा पर्व चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है। नवरात्रि में माता के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है। चैत्र माह का महत्व- चैत्र माह में ही भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लिया था। श्रीहरि ने प्रलयकाल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। इसके बाद मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई थी। चैत्र माह में सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, इसके बाद सौर कैलेंडर की शुरुआत होती है। चैत्र माह में क्या करें - चैत्र माह में सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ध्यान और योग करें। इससे आप तनाव मुक्त और स्वस्थ्य रहते हैं। इसके पश्चात सूर्योदय के समय सूर्य को अघ्र्य देते समय सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जाप करते हुए देना चाहिए। चैत्र महीने में सूर्य और मां दुर्गा, राम जी की उपासना करना चाहिए, इससे हर संकट दूर होता है। चैत्र महीने के दौरान नियम से पेड़-पौधों को जल से सींचें। इससे कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। चैत्र माह में क्या न करें - ये महीना भक्ति और संयम का माना जाता है। इस महीने से ही वसंत ऋतु विदा और ग्रीष्म ऋतु आरंभ होती है। गर्मी बढऩे लगती है, प्रकृति के बदलाव के वातावरण में बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में कुछ स्वास्थ के प्रति विशेष सावधानियां भी रखनी चाहिए।

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