विनायक चतुर्थी व्रत कथा का श्रवण-वाचन करने से होते कष्ट दूर || Vaibhav Vyas

 विनायक चतुर्थी व्रत कथा का श्रवण-वाचन करने से होते कष्ट दूर 


विनायक चतुर्थी व्रत कथा का श्रवण-वाचन करने से होते कष्ट दूर पंचांग के अनुसार, हर माह दो चतुर्थी का व्रत किया जाता है। एक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का और दूसरा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से। दोनों ही चतुर्थी में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। विनायक चतुर्थी व्रत में कथा सुनने और पढऩे का विशेष महत्व है। अगर आप चतुर्थी तिथि का व्रत नहीं कर रहे हैं तो कथा सुनने मात्र से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस दिन व्रत करने वालों को विधि-विधान से गणेश जी का पूजा-अर्चना करने के पश्चात कथा का श्रवण-वाचन अवश्य करना जिससे व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होने वाला रहता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती और भगवान महादेव नर्मदा नदी के तट पर चौपड़ खेल रहे थे। खेल में हार जीत का फैसला करने के लिए महादेव ने एक पुतला बना दिया और उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी। भगवान महादेव ने बालक से कहा कि जीतने परविजेता का फैसला करे। महादेव और माता पार्वती ने खेलना शुरू किया और तीनों बार माता पार्वती जीत गईं। खेल समाप्त होने के बाद बालक ने महादेव को विजयी घोषित कर दिया। यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और बालक को अपाहिज रहने का शाप दे दिया। माता पार्वती ने बताया उपाय- इसके बाद माता पार्वती से बालक ने क्षमा मांगी और कहा कि ऐसा भूलवश हो गया है। जिसके बाद माता पार्वती ने कहा कि शाप तो वापस नहीं लिया जा सकता लेकिन इसका एक उपाय है। माता पार्वती ने बालक को उपाय बताते हुए कहा कि भगवान गणेश की पूजा के लिए नाग कन्याएं आएंगी और तुमको उनके कहे अनुसार व्रत करना होगा, जिससे तुमको शाप से मुक्ति मिल जाएगी। बालक कई सालों तक शाप से जूझता रहा और एक दिन नाग कन्याएं भगवान गणेश की पूजा के लिए आईं। जिनसे बालक ने गणेश व्रत की विधि पूछी। बालक ने सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने वरदान मांगने को कहा।

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