चन्द्रमा का जन्म माह फाल्गुन || Vaibhav Vyas

चन्द्रमा का जन्म माह फाल्गुन  


चन्द्रमा का जन्म माह फाल्गुन फाल्गुन मास का शुक्ल पक्ष 3 से 18 मार्च तक रहेगा। इस बार ये पखवाड़ा 15 की बजाय 16 दिनों का रहेगा। शुक्ल पक्ष में तिथि का बढऩा शुभ माना जा रहा है। हिंदू कैलेंडर के इन आखिरी दिनों यानी फाल्गुन शुक्ल पक्ष में महत्वपूर्ण व्रत-उपवास और त्योहार होते हैं। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष विधान है। इन दिनों में शीतल जल से स्नान करना लाभदायक होता है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष में अनाज का प्रयोग कम करना चाहिए और अधिक से अधिक फलों का सेवन करना चाहिए। तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। चंद्र देव की उत्पत्ति फाल्गुन महीने का शुक्लपक्ष चंद्र देव की आराधना के लिए सबसे अच्छा माना गया है, क्योंकि ग्रंथों के मुताबिक माना जाता है कि चंद्रमा की उत्पति महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी अनुसूया की संतान के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को ही हुई थी। इसलिए फाल्गुन को चंद्रमा का जन्म माह माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्र का दिन सोमवार है और उन्हें जल तत्व का देव भी कहा जाता है। चंद्रमा का जन्म फाल्गुन मास में होने के कारण इस महीने चंद्रमा की उपासना करने का विशेष महत्व है। इसलिए ही इसी माह में समारोह पूर्वक चंद्रोदय पर विशेष पूजा की जाती है। शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर चंद्रमा की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। तीज-त्योहार- इन दिनों यानी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि पर गणेश जी की पूजा एवं पंचमी पर भगवान शिव के नागेश्वर रूप की पूजा करने का महत्व बताया गया है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष नवमी को जानकी नवमी पर माता सीता का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां जानकी का जन्म हुआ था। एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसके अगले दिन गोविंद द्वादशी व्रत किया जाता है। इस हफ्ते ही होली से ठीक आठ दिन पहले होलाष्टक आरंभ हो जाता है और इन दिनों में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। होलाष्टक कब से- इस महीने 10 तारीख को शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाएगा। जो कि होलिका दहन के साथ ही 17 मार्च को खत्म हो जाएगा। होलाष्टक शुरू होते ही मांगलिक कामों में रोक लग जाएगी। इन 8 दिनों में किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किए जाएंगे। इन दिनों भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा करने से किसी भी तरह का अशुभ नहीं होता।

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