मौनी अमावस्या पर दान-पुण्य का विशेष महत्व || Vaibhav Vyas


मौनी अमावस्या पर दान-पुण्य का विशेष महत्व 

 मौनी अमावस्या पर दान-पुण्य का विशेष महत्व सनातन धर्म में चंद्रमा की गति और उसकी राशियों में गोचर को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। चंद्रमा की कलाओं के माध्यम से ही हिंदी माह में तिथियां और त्योहार निर्धारित होते हैं।  हिन्दी मास में दो पक्ष होते हैं, एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के दौरान चंद्रमा दिन-ब-दिन बढ़ता जाता है और शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन पूर्णिमा के दिन अपने पूर्ण रूप में होता है। वहीं कृष्ण पक्ष के दौरान चंद्रमा घटते क्रम में चलता है और धीरे-धीरे अमावस्या की ओर बढ़ता है। कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। अमावस्या के दिन दान और स्नान ध्यान का अपना ही महत्व है, लेकिन यह महत्व तब और बढ़ जाता है जब अमावस्या के साथ कोई विशेष तिथि या मान्यता जुड़ी हो। एक ऐसी ही अमावस्या मौनी अमावस्या भी होती है, जिसका बहुत धार्मिक महत्व है। इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या इस साल 9 फरवरी को मनाई जाएगी।  मौनी अमावस्या के पीछे धार्मिक और सामाजिक दोनों मान्यताएं देखी जाती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन पवित्र संगम में देवताओं का वास होता है, यही कारण है कि इस दिन आपको गंगा सहित सभी प्रमुख नदियों पर भक्तों  स्नान दान करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन कुछ खास उपाय करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।  शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन का धार्मिक महत्व अधिक है। मौनी अमावस्या के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को दान करना चाहिए। इस दिन जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाना चाहिए।  ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस दिन तेल, कंबल, दूध ,चीनी, अनाज तथा अपने आवश्यकता अनुसार पैसों का दान करना चाहिए। इसके अलावा मौनी अमावस्या के दिन पशु-पक्षियों को भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और जीवन में आ रही तमाम समस्याओं से मुक्ति मिलती है। मौनी अमावस्या का महत्व धर्म के साथ-साथ ज्योतिष से भी जुड़ा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मौनी अमावस्या तब मनाई जाती है जब माघ महीने के दौरान चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में एक साथ आते हैं। मौनी अमावस्या के दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों की संयुक्त ऊर्जा के प्रभाव से इस दिन का महत्व और भी अधिक हो जाता है। मकर राशि चक्र की दसवीं राशि है और कुंडली के दसवें घर में सूर्य मजबूत है। ज्योतिष में सूर्य को पिता और धर्म का कारक माना जाता है, इसलिए जब सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में मिलते हैं तो मौनी अमावस्या का त्योहार मनाया जाता है।  मौनी अमावस्या के दिन भगवान सूर्य को अघ्र्य देना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। मौनी अमावस्या के दिन ऊँ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि, शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात् मंत्र का जाप 108 बार करें।  ऐसा करने से जातक के घर से पितृ दोष समाप्त हो जाता है।

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