बुध प्रदोष व्रत कथा || Vaibhav Vyas


बुध प्रदोष व्रत कथा 

बुध प्रदोष व्रत कथा बुधवार के दिन जब भी प्रदोष व्रत आता है तो उसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष व्रत के प्रभाव से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आप प्रदोष व्रत करते हैं बुध प्रदोश व्रत कथा का श्रवण-वाचन अवश्य करें वरना आपकी पूजा अधूरी रह सकती है। बुध प्रदोष व्रत कथा प्राचीन काल की कथा है, एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ था। वह गौने के बाद दूसरी बार पत्नी को लिवाने के लिए अपनी ससुराल पहुंचा और उसने सास से कहा कि बुधवार के दिन ही पत्नी को लेकर अपने नगर जायेगा। उस पुरुष के सास-ससुर ने, साले-सालियों ने उसको समझाया कि बुधवार को पत्नी को विदा कराकर ले जाना शुभ नहीं है, लेकिन वह पुरुष अपनी जिद से टस से मस नहीं हुआ। विवश होकर सास-ससुर को अपने जमाता और पुत्री को भारी मन से विदा करना पड़ा। पति-पत्नी बैलगाड़ी में चले जा रहे थे। एक नगर के बाहर निकलते ही पत्नी को प्यास लगी। पति लोटा लेकर पत्नी के लिए पानी लेने गया। जब वह पानी लेकर लौटा तो उसके क्रोध और आश्चर्य की सीमा न रही, क्योंकि उसकी पत्नी किसी अन्य पुरुष के लाये लौटे में से पानी पीकर हंस-हंसकर बतिया कर रही थी। क्रोध में आग-बबूला होकर वह उस आदमी से झगड़ा करने लगा। मगर यह देखकर आश्चर्य की सीमा न रही कि उस पुरुष की शक्ल उस आदमी से हू ब हू मिलती थी। हम शक्ल आदमियों को झगड़ते हुए जब काफी देर हो गई तो वहां आने-जाने वालों की भीड़ एकत्र हो गई, सिपाही भी आ गया। सिपाही ने स्त्री से पूछा कि इन दोनों में से कौन सा आदमी तेरा पति है, तो वह बेचारी असमंजस में पड़ गई, क्योंकि दोनों की शक्ल एक-दूसरे से बिल्कुल मिलती थी। बीच राह में अपनी पत्नी को इस तरह लुटा देखकर उस पुरुष की आंख भर आई। वह शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा, कि हे भगवान आप मेरी पत्नी की रक्षा करो। मुझसे बड़ी भूल हुई जो मैं बुधवार को पत्नी को विदा करा लाया। भविष्य में ऐसा अपराध कदापि नहीं करूंगा। उसकी वह प्रार्थना जैसे ही पूरी हुई कि दूसरा पुरुष अंतध्र्यान हो गया और वह पुरुष सकुशल अपनी पत्नी के साथ अपने घर पहुंच गया। उस दिन के बाद पति-पत्नी नियमपूर्वक बुधवार प्रदोष व्रत रखने लगे।

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