उल्लास और पवित्रता का पर्व माघी पूर्णिमा माघ पूर्णिमा || Vaibhav Vyas


उल्लास और पवित्रता का पर्व माघी पूर्णिमा माघ पूर्णिमा  

उल्लास और पवित्रता का पर्व माघी पूर्णिमा माघ पूर्णिमा यह एक ऐसा पर्व है जो आस्था, उल्लास और पवित्रता का प्रतीक है। हिंदू मास में दो पक्ष होते हैं- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष का आखिरी दिन पूर्णिमा कहलाता है। साल में 12 पूर्णिमा आती हैं, जिनमें माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। माघ पूर्णिमा 2024 तिथि- 23 फरवरी 2024, शुक्रवार, शाम 3.33 बजे से 24 फरवरी 2024, शनिवार, शाम 5.59 बजे तक रहेगी। भद्रा पूंछ 24 फरवरी 2024, शनिवार, सुबह 6.28 बजे से 25 फरवरी 2024, रविवार, सुबह 8.24 बजे तक रहेगा। पूर्णिमा व्रत- 24 फरवरी 2024, शनिवार को रखा जाएगा। माघ पूर्णिमा का महत्व- गंगा स्नान- इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन की स्नान के लिए देवता गण भी पृथ्वी पर आकर संगम स्नान करते हैं, जिससे इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। पूजा-पाठ- माघ पूर्णिमा को भगवान शिव, विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन दान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है। सत्यनारायण भगवान की कथा- माघ पूर्णिमा को सत्यनारायण भगवान की कथा भी सुनी जाती है। विशेष महत्व माघी पूर्णिमा- माघ पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है। स्नान, दान और पूजा- यह स्नान, दान, पूजा और व्रत का विशेष दिन माना जाता है। पापों का नाश- माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। दान- इस दिन किए गए दान का फल कई गुना बढ़ जाता है। व्रत- माघ पूर्णिमा को व्रत रखने से मन की शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। भद्रा काल- माघ पूर्णिमा के दिन भद्रा काल में स्नान, दान और पूजा नहीं करनी चाहिए। व्रत- यदि आप व्रत रख रहे हैं, तो सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लें। सात्विक भोजन- व्रत के दिन सात्विक भोजन करें और झूठ बोलने से बचें। माघ पूर्णिमा का पर्व आस्था और उल्लास का पर्व है। इस दिन गंगा स्नान, पूजा-पाठ और दान करने से मनुष्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

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