षटतिला एकादशी व्रत कथा || Vaibhav Vyas


षटतिला एकादशी व्रत कथा  

षटतिला एकादशी व्रत कथा एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. हर महीने 2 एकादशी और एक साल में कुल 24 एकादशी आती हैं। माघ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। षटतिला एकादशी के व्रत का बड़ा महात्म्य माना जाता है। इस साल षटतिला एकादशी 6 फरवरी 2024, मंगलवार को मनाई जाएगी। षटतिला एकादशी की व्रत कथा- धार्मिक कथाओं के अनुसार, एक बार नारद मुनि ने भगवान विष्णु से षटतिला एकादशी के व्रत का महत्व और उसकी कथा के विषय में पूछा। तब भगवान विष्णु ने उन्हें षटतिला एकादशी के व्रत की कथा और उसका महत्व बताया। प्राचीन काल में पृथ्वी पर एक विधवा ब्राह्मणी रहती थी। वह भगवान विष्णु के प्रति अटूट श्रद्धा रखती थी और भक्ति भाव से उनके सभी व्रत और पूजन किया करती थी, पर वह ब्राह्मणी कभी भी किसी को अन्न दान में नहीं दिया करती थी। कुछ समय के बाद उस ब्राह्मणी की मृत्यु हो गई और वो बैकुंठ धाम पहुंची। वहां उस ब्राह्मणी को एक कुटिया और एक आम का पेड़ मिला. खाली कुटिया को देख वो ब्राह्मणी बहुत निराश हुई और भगवान विष्णु के पास जाकर पूछा की प्रभु मैने तो पूरे जीवन आपकी पूजा-अर्चना की। पृथ्वी पर मैं एक धर्मपरायण स्त्री थी, फिर क्यों मुझे ये खाली कुटिया मिली। भगवान विष्णु ने उस ब्राह्मणी को उत्तर दिया कि तुमने अपने जीवन में कभी अन्नदान नहीं किया था, इसलिए ही तुमको ये खाली कुटिया प्राप्त हुई। तब उस ब्राह्मणी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने इसका उपाय पूछा। भगवान विष्णु ने कहा जब देव कन्याएं आपसे मिलने आए तो आप द्वार तभी खोलना जब वें षटतिला एकादशी के व्रत का विधान बताएं। उस ब्राह्मणी स्त्री ने वैसा ही किया और षटतिला एकादशी का व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से उस ब्राह्मणी स्त्री की कुटिया अन्न और धन से भर गई। इसलिए षटतिला एकादशी के दिन अन्न दान करने का बहुत महत्व माना जाता है। षटतिला एकादशी का महत्व- षटतिला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख, शांति और वैभव बना रहता है। षटतिला एकादशी का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन सुखमय और खुशहाल बनता है और इस व्रत की कथा सुनने एवं पढऩे से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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