अमावस्या पर दान-पुण्य और जप-तप का विशेष महत्व || Vaibhav Vyas


अमावस्या पर दान-पुण्य और जप-तप का विशेष महत्व 

अमावस्या पर दान-पुण्य और जप-तप का विशेष महत्व हिन्दू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या का दिन पितरों का तर्पण करने का विशेष दिन माना गया है। इस दिन नदी-सरोवर में विधिपूर्वक किया गया तर्पण जहां पितरों को मोक्ष दिलाता है, वहीं पितरों के आशीर्वाद से जीवन में आ रही बाधाएं दूर होकर उनका आशीर्वाद मिलने वाला रहता है। अमावस्या के दिन कुछ ऐसे उपाय भी बताए गए हैं जिनके करने से उनका समाधान शीघ्र होने वाला माना गया है। अमावस्या तिथि पर दान-पुण्य और जप-तप का भी विशेष महत्व माना गया है जिसके चलते थोड़े से उपाय और पूजा से उसका फल शीघ्र और शुभ फलदायी माना गया है। 1. अमावस्या के दिन क्रोध, हिंसा, अनैतिक कार्य, माँस, मदिरा का सेवन एवं स्त्री से शारीरिक सम्बन्ध, मैथुन कार्य आदि का निषेध बताया गया है। जीवन में स्थाई सफलता हेतु इस दिन इन सभी कार्यों से दूर रहना चाहिए। 2. अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए विशेष पूजन करना चाहिए। यदि आपके पितृ देवता प्रसन्न होंगे तभी आपको अन्य देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त हो सकती है। पितरों की कृपा के बिना कठिन परिश्रम के बाद भी जीवन में अस्थिरता रहती है, मेहनत के उचित फल प्राप्त नहीं होती है। 3. हर अमावस के दिन एक ब्राह्मण को भोजन अवश्य ही कराएं। इससे आपके पितर सदैव प्रसन्न रहेंगे, आपके कार्यों में अड़चने नहीं आएँगी, घर में धन की कोई भी कमी नहीं रहेंगी और आपका घर-परिवार को टोने-टोटको के अशुभ प्रभाव से भी बचा रहेगा। 4. पितृ दोष निवारण के लिये यदि कोई व्यक्ति अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल में दूध, गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल मिलाकर सींचते हुए पुष्प, जनेऊ अर्पित करते हुये ऊँ नमो भगवते वासुदेवाएं नम: मंत्र का जाप करते हुये 7 बार परिक्रमा करे तत्पश्चात् ऊँ पितृभ्य: नम: मंत्र का जप करते हुए अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिये क्षमा मांगे तो पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है। और अगर सोमवती अमावस्या हो तो पीपल की 108 बार परिक्रमा करने से विशेष लाभ मिलता है। 5. हर अमावस्या पर पितरों का तर्पण अवश्य ही करना चाहिए। तर्पण करते समय एक पीतल के बर्तन में जल में गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ, तुलसी के पत्ते, दूब, शहद और सफेद फूल आदि डाल कर पितरों का तर्पण करना चाहिए। तर्पण, में तिल और कुशा सहित जल हाथ में लेकर दक्षिण दिशा की तरफ मुँह करके तीन बार तपरान्तयामि, तपरान्तयामि, तपरान्तयामि कहकर पितृ तीर्थ यानी अंगूठे की ओर जलांजलि देते हुए जल को धरती में किसी बर्तन में छोडऩे से पितरों को तृप्ति मिलती है। ध्यान रहे तर्पण का जल तर्पण के बाद किसी वृक्ष की जड़ में चढ़ा देना चाहिए वह जल इधर उधर बहाना नहीं चाहिए। 6. शास्त्रो के अनुसार प्रत्येक अमावस्या को पित्तर अपने घर पर आते है अत: इस दिन हर व्यक्ति को यथाशक्ति उनके नाम से दान करना चाहिए। इस दिन बबूल के पेड़ पर संध्या के समय पितरों के निमित्त भोजन रखने से भी पित्तर प्रसन्न होते है। 7. पितरों को खीर बहुत पसंद होती है इसलिए प्रत्येक माह की अमावस्या को खीर बनाकर ब्राह्मण को भोजन के साथ खिलाने पर महान पुण्य की प्राप्ति होती है, जीवन से अस्थिरताएँ दूर होती है। 8. अमावस्या के दिन काले कुत्ते को कड़वा तेल लगाकर रोटी खिलाएं। इससे ना केवल दुश्मन शांत होते हैं वरन आकस्मिक विपदाओं से भी रक्षा होती है। 9. अमावस्या के दिन अपने घर के दरवाजे के ऊपर काले घोड़े की नाल को स्थापित करें। ध्यान रहे कि उसका मुंह ऊपर की ओर खुला रखें। लेकिन दुकान या अपने आफिस के द्वार पर लगाना हो तो उसका खुला मुंह नीचे की ओर रखें। 10. अमावस्या की तिथि को कोई भी नया कार्य, यात्रा, क्रय-विक्रय तथा समस्त शुभ कर्मों को निषेध कहा गया है, इसलिए इस दिन इन कार्यों को नहीं करना चाहिए। 11. दीपावली की रात्रि में 12 बजे अपने दाहिने हाथ में काली राई लेकर अपने घर की छत पर तीन चक्कर उलटे काटे, फिर दसो दिशाओं में हाथ की राई के दाने ऊँ हीं ऋणमोचने स्वाहा॥ मन्त्र का जप करते हुए फेंकते जाय, इस उपाय से धन हानि बंद होती है, ऋण के उतरने के योग प्रबल होते है। यह बहुत ही अमोघ प्रयोग है इसे किसी भी अमावस्या को किया जा सकता है। 12. वैसे तो सभी अमावस्या का महत्व है लेकिन सोमवार एवं शनिवार को पडऩे वाली अमावास्या विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। इसके अतिरिक्त मौनी अमावस्या और सर्वपितृ दोष अमावस्या अति महत्वपूर्ण मानी गयी है।

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