अमावस्या पर तर्पण से मिलता पितरों का आशीर्वाद || Vaibhav Vyas


 अमावस्या पर तर्पण से मिलता पितरों का आशीर्वाद  

अमावस्या पर तर्पण से मिलता पितरों का आशीर्वाद हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही पितरों का तर्पण भी किया जाता है। गरुड़ पुराण में निहित है कि अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, साधक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पूर्वजों के आशीर्वाद से साधक के सुखों में वृद्धि होती है। पंचांग के अनुसार, पौष अमावस्या 10 जनवरी को संध्याकाल 08 बजकर 10 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 11 जनवरी को संध्याकाल 05 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अत: 11 जनवरी को पौष अमावस्या मनाई जाएगी। सनातन धर्म में पौष महीने का विशेष महत्व है। इस महीने में सूर्य उत्तरायण होते हैं। साल 2024 में 15 जनवरी को सूर्य उत्तरायण होंगे। इस दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इससे 4  दिन पूर्व पौष अमावस्या है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर स्नान-ध्यान कर शुद्ध मन से भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। पौष अमावस्या के दिन ब्रह्म बेला में उठें और घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के पश्चात गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। सुविधा होने पर नदी या सरोवर में स्नान करें। इसके पश्चात, आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और नवीन वस्त्र धारण करें। इसी समय भगवान सूर्य को जल का अघ्र्य दें। आप तिलांजलि भी दे सकते हैं। सूर्य देव को अघ्र्य देने के पश्चात जल में काले तिल मिलाकर दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों को अघ्र्य दें। योग्य पंडित की देखरेख में पूर्वजों का तर्पण कर सकते हैं। अब विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती कर सुख-समृद्धि की कामना करें। इसके पश्चात यथा शक्ति तथा भक्ति के भाव से दान करें।

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